हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश की ग्वालियर बेंच ने मध्य प्रदेश शासन, वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक पर ₹10000 का जुर्माना लगाया है। मामला वन विभाग के सबसे छोटे कर्मचारी वनरक्षक की मृत्यु के बाद उसकी 88 वर्षीय विधवा पत्नी को पेंशन के निर्धारण में हुई गड़बड़ी का है। डिपार्टमेंट ऐसे किसी भी कीमत पर दुरुस्त करने के लिए तैयार नहीं है और बहाने बना रहा है। यहां तक की हाई कोर्ट को भी कंफ्यूज करने की कोशिश की गई।
वनरक्षक की विधवा 68 साल से पेंशन की लड़ाई लड़ रही है
1956 में वनरक्षक चोखेलाल की मौत के बाद से ही कमला देवी पेंशन के लिए लड़ाई लड़ रही हैं। 2001 में विभाग ने पेंशन देना शुरू किया, लेकिन अधूरी। इसके खिलाफ 2003 से हाई कोर्ट में लड़ाई जारी है। 7 जुलाई 2023 को कोर्ट ने वन विभाग को निर्देश दिया कि वे न्यू पेंशन रूल्स 1951 के प्रावधान के अंतर्गत भुगतान करें। सोमवार को हुई सुनवाई में विभाग की ओर से बताया गया कि इस नियम के अंतर्गत कमलाबाई को पेंशन नहीं दी जा सकती क्योंकि वे इसके लिए आवश्यक पात्रता नहीं रखती।
पेंशन नियम 1951 के अनुसार पेंशन देने का आदेश
सोमवार को हुई सुनवाई में मुख्य वन संरक्षक सुलिया ने कोर्ट को बताया कि विभाग के पास मृतक चोखेलाल का पुराना सर्विस रिकॉर्ड नहीं है। इससे भी जब बात नहीं बनी तो एक आवेदन पेश किया जिसमे 7 जुलाई 2023 के आदेश को वापस लेने की मांग की गई। जस्टिस मिलिंद रमेश फड़के ने इस रवैये पर नाराजगी जताते हुए मुख्य वन संरक्षक पर 10 हजार का जुर्माना लगाया। इसके साथ ही विभाग को नियमानुसार पेंशन देने का आदेश दिया।
विनम्र निवेदन: 🙏कृपया हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें। सबसे तेज अपडेट प्राप्त करने के लिए टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें एवं हमारे व्हाट्सएप कम्युनिटी ज्वॉइन करें। इन सबकी डायरेक्ट लिंक नीचे स्क्रॉल करने पर मिल जाएंगी। कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण समाचार पढ़ने के लिए कृपया स्क्रॉल करके सबसे नीचे POPULAR Category में employee पर क्लिक करें।