जबलपुर से हाई कोर्ट आफ मध्य प्रदेश ने बीएसएनएल के कर्मचारी की सेवा समाप्ति को इसलिए उचित माना क्योंकि उसने 4 साल की सेवा अवधि में किसी भी 1 साल में 240 दिन काम नहीं किया। मध्य प्रदेश में बोलचाल की भाषा में इसे मक्कारी कहा जाता है।
श्रम न्यायालय ने भी कर्मचारी की बर्खास्तगी को सही बताया था
ज्यादातर मामलों में श्रम न्यायालय कर्मचारियों के पक्ष में फैसला देते हैं परंतु इस मामले में उल्टा हुआ था। लेबर कोर्ट ने कर्मचारी की सेवाएं समाप्त कर दिए जाने के फैसले को सही बताया था। सागर निवासी नौशाद अली ने याचिका दायर कर बताया कि श्रम न्यायालय ने 23 मई, 2014 को उसकी बहाली का आवेदन निरस्त कर दिया था। उसी आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। बीएसएनएल की ओर से अधिवक्ता सीएम परनामी व राहुल ठाकुर ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता की अनौपचारिक रूप से मई 1986 में भर्ती हुई थी।
ना बहाली हुई ना मुआवजा मिला
उन्होंने जुलाई, 1990 तक नौकरी की, लेकिन एक भी बार नियमानुसार एक वर्ष में 240 दिन लगातार काम नहीं किया। याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि उसे मानवीय आधार पर या तो बहाल किया जाए या मुआवजा दिया जाए। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने श्रम न्यायालय के आदेश को सही पाते हुए याचिका निरस्त कर दी।
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