मध्य प्रदेश में हाई कोर्ट के आदेश के पालन में शासन द्वारा नियमों में संशोधन नहीं किया जाता। यही कारण है कि हाई कोर्ट को एक ही आदेश बार-बार जारी करना पड़ता है। "कार्यभारित कर्मचारी भी क्रमोन्नति का हकदार है" माननीय उच्च न्यायालय ने यह फैसला सन 2009 में तेज लाल यादव विरुद्ध मध्य प्रदेश शासन मामले में कर दिया था। फिर यही आदेश 2014 में और अब 2024 में जारी करना पड़ा।
ऋषि कुमार विरुद्ध मध्य प्रदेश शासन
याचिकाकर्ता नरसिंहपुर निवासी ऋषि कुमार की ओर से अधिवक्ता मोहनलाल शर्मा, शिवम शर्मा व अमित स्थापक ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता कार्यभारित व आकस्मिक भुगतान कर्मचारी के रूप में कार्यरत था। विभाग ने यह कहकर उसके खिलाफ रिकवरी निकाल दी कि कार्यभारित कर्मचारी क्रमोन्नति पाने के पात्र नहीं हैं।
बहस के दौरान दलील दी गई कि हाई कोर्ट ने वर्ष 2009 में तेजूलाल यादव और 2014 में मानसिंह ठाकुर के मामलों में यह स्पष्ट किया है कि कार्यभारित कर्मचारी भी क्रमोन्नति पाने के हकदार हैं। कोर्ट ने उक्त न्यायदृष्टांत के आधार पर याचिकाकर्ता के विरुद्ध रिकवरी को निरस्त कर दिया। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता से कोई रिकवरी की गई है तो उसे 30 दिन के भीतर लौटाएं। यदि ऐसा नहीं हुआ तो आठ प्रतिशत ब्याज भी देना होगा।
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