MP NEWS - दंड के खिलाफ स्टे ऑर्डर वाले नेताओं के मामलों की सुनवाई तेजी से करें, सुप्रीम कोर्ट

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय को निर्देशित किया है कि, एमपी एमएलए कोर्ट से दंडित किए गए विधायक, संसद अथवा अन्य राजनीतिक लोग, दंडादेश के विरुद्ध हाई कोर्ट से इसके स्थगन ले आते हैं। ऐसे मामलों की तेजी से सुनवाई की जाए, ताकि मूल कोर्ट में मामला आगे बढ़ सके। 

मध्य प्रदेश में टोटल 192 मामले पेंडिंग है

मध्य प्रदेश में सांसद एवं विधायकों सहित जनप्रतिनिधियों के विरुद्ध दर्ज होने वाले मामलों में फटाफट सुनवाई के लिए एमपी एमएलए कोर्ट का गठन किया गया है, लेकिन नेताओं ने इससे बचने के लिए भी तोड़ निकाल लिया। वह अपने मामले के खिलाफ हाई कोर्ट से स्थगन आदेश ले लेते हैं। इसके कारण एमपी एमएलए कोर्ट में कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाती और हाई कोर्ट में लंबे समय तक सुनवाई नहीं होती। इसका लाभ आरोपी नेताओं को मिलता है। इस विसंगति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की गई थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नोटिस जारी करने पर मध्य प्रदेश सरकार एवं हाईकोर्ट की ओर से बताया गया कि, मध्य प्रदेश में टोटल 192 मामले पेंडिंग है। 

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देशित किया है कि, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा एमपी एमएलए कोर्ट के जितने भी मामलों को स्थगित किया गया है, उनकी तेजी से सुनवाई करें और फैसला करें, ताकि एमपी एमएलए कोर्ट की कार्रवाई आगे बढ़ सके और अपने निर्धारित समय पर पूर्ण हो सके। एमपी एमएलए कोर्ट की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया है कि, उनकी तरफ से मामलों की नियमित रूप से सुनवाई की जा रही है। केवल वही मामले पेंडिंग है जिन्हें हाई कोर्ट की ओर से स्थगित कर दिया गया है। 

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