मध्य प्रदेश की राजनीति में काफी कुछ बदल रहा है। कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने जब विधानसभा चुनाव लड़ने से इनकार किया तो पार्टी के पास कोई खास विकल्प नहीं थे, लेकिन 5 साल बाद भारतीय जनता पार्टी के पास शिवपुरी विधानसभा से चुनाव लड़ने के लिए कम से कम एक दर्जन विकल्प होंगे। एक विकल्प श्री हरि बल्लभ शुक्ला आज भोपाल में अपने सुपुत्र श्री आलोक शुक्ला के साथ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।
SHIVPURI के हरि बल्लभ शुक्ला की राजनीति, संक्षिप्त में
श्री हरि बल्लभ शुक्ला पोहरी विधानसभा की राजनीति किया करते थे, लेकिन उनका घर शिवपुरी में है इसलिए शिवपुरी की राजनीति भी करते रहे। श्री शुक्ल की पूरी राजनीति सिंधिया के आगे और पीछे चलती रही है। सिंधिया समर्थन के रूप में उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत की थी और आज दिनांक 20 अप्रैल 2024 से पहले तक श्री हरि बल्लभ शुक्ला सिंधिया विरोधी नेता हुआ करते थे। सन 2019 में जब केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए तब श्री हरि बल्लभ शुक्ला भी सिंधिया की टीम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हुआ करते थे लेकिन उन्होंने सिंधिया का साथ छोड़कर कांग्रेस में बने रहने का फैसला किया था। इससे पहले एक बार भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। कुल मिलाकर श्री शुक्ला कभी बीजेपी कभी कांग्रेस और बीच में एक बार समानता दल में भी रह चुके हैं।
सिंधिया नहीं CM के हाथों सदस्यता ग्रहण की
लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान करीब एक दर्जन से ज्यादा भाजपा में वापस हुए हैं जो कांग्रेस मूल के सिंधिया समर्थक नेता हैं और विधानसभा चुनाव के समय भाजपा से कांग्रेस में चले गए थे। सभी नेताओं ने केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथों भाजपा में वापसी की है लेकिन श्री हरि बल्लभ शुक्ला ने सिंधिया नहीं बल्कि CM के हाथों सदस्यता ग्रहण की। इस प्रकार उन्होंने ऐलान कर दिया है कि भारतीय जनता पार्टी में भी उनका सिंधिया विरोध जारी रहेगा।
कांग्रेस में वैल्यू नहीं मिल रही थी
बताया जा रहा है कि श्री हरि बल्लभ शुक्ला को कांग्रेस पार्टी में महत्व नहीं मिल रहा था। विधानसभा चुनाव के समय जब कांग्रेस पार्टी ने पिछोर के विधायक श्री केपी सिंह को अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया तो श्री शुक्ला और कांग्रेस के बीच दरार और ज्यादा बढ़ गई थी। प्रोटोकॉल के तहत उन्हें मंच पर आमंत्रित किया जाता था परंतु कई बार अपमानित किया गया। एक बार का वीडियो तो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था।
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