मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कल मेट्रो ट्रेन अपने बेडरूम से निकली और रानी कमलापति स्टेशन तक टहलकर आई। भोपाल में मेट्रो ट्रेन किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं है। उसकी हर हरकत मीडिया की सुर्खियां बन जाती है। यह खबर भी बन गई है। लोगों को उम्मीद है कि जल्द ही वह मेट्रो ट्रेन में बैठकर यात्रा करेंगे परंतु कहना पड़ेगा कि, बीरबल ने ऐसा सिस्टम बनाया की खिचड़ी पकते-पकते बहुत वक्त लगेगा। मामा की मेट्रो अगले नगर निगम चुनाव से पहले नहीं चलेगी।
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बुधवार को भोपाल मेट्रो रेल के ब्रेकिंग सिस्टम का सफल परीक्षण किया गया। इस परीक्षण के दौरान मेट्रो रेल को सुभाष नगर डिपो से रानी कमलापति रेलवे स्टेशन तक 5 बार चलाया गया। ट्रेन को 10 से 25 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलाकर विभिन्न गति पर ब्रेक लगाकर देखा गया। परीक्षण के दौरान मेट्रो रेल के ब्रेकिंग सिस्टम ने सभी मापदंडों पर सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया। इस तरह के 6 और परीक्षण किए जाएंगे। अब तक मेट्रो रेल को परीक्षण के लिए 150 किलोमीटर चलाया जा चुका है। अगले चरण में, मेट्रो रेल को यात्रियों के साथ 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 3000 किलोमीटर तक चलाया जाएगा। जिसके बाद मेट्रो रेल को परिचालन के लिए तैयार माना जाएगा। भोपाल मेट्रो के लिए कुल 27 रेलें मंगवाई गई हैं। अब तक 5 रेलें भोपाल पहुंच चुकी हैं और इन्हें सुभाष नगर डिपो में रखा गया है। रेलों की अगली खेप जुलाई में आने की उम्मीद है।
बीरबल की खिचड़ी और मामा की मेट्रो एक ही बात है
भोपाल में मेट्रो ट्रेन का सिस्टम पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुछ इस प्रकार बनाया है कि कम से कम 10-20 चुनाव में इसका लाभ लिया जा सके। मनोकामना सिर्फ इतनी सी नहीं थी इसके अलावा भी कुछ थी क्योंकि मेट्रो ट्रेन के इंफ्रास्ट्रक्चर का काम उन्होंने अपने दोस्त श्री दिलीप सूर्यवंशी की कंपनी को दिया। सब कुछ आराम से चल रहा है। कुछ इस प्रकार सरकारी अधिकारियों को नियुक्त किया गया है, जो फाइल को लंबे समय तक पेंडिंग रखने में स्पेशलिस्ट हैं। इस प्रकार शासन की गलती से प्रोजेक्ट अपने निर्धारित समय पर पूरा नहीं हो रहा है और प्रोजेक्ट की कीमत बढ़ती जा रही है। बताने की जरूरत नहीं की फायदा तो मामा के दोस्त को हो रहा है।
2023 से पहले हम भोपाल के लोग यह मानते थे कि ट्रायल रन के बाद फाइनल रन होता है। 2023 में हमें पहली बार पता चला कि, ट्रायल रन के बाद विधानसभा चुनाव होता है। जिस स्पीड से काम चल रहा है, आप कैलेंडर उठाकर गोल बनाइए, आप खुद कहेंगे कि मामा की मेट्रो 2027 में आने वाले नगर निगम चुनाव से पहले यात्रियों के लिए उपलब्ध नहीं हो पाएगी। प्रोजेक्ट अपने निर्धारित समय से 5 साल लेट चल रहा है और इसके कारण प्रोजेक्ट की कीमत ₹2500 करोड रुपए बढ़ गई है। यह रकम भोपाल की पब्लिक पर टैक्स लगाकर वसूली जा रही है। हम समझ रहे हैं कि विकास हो रहा है लेकिन असल में कद्दू कट रहा है और सब में बंट रहा है।
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