BHOPAL NEWS - विश्वास सारंग और कृष्णा गौर की कुर्सी खतरे में, पढ़िए मंत्री पद किसको मिलेगा

Bhopal Samachar
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के विधायकों में से श्री विश्वास सारंग और श्रीमती कृष्णा गौर, वर्तमान मध्य प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल में है परंतु अमित शाह के फिटनेस टेस्ट में दोनों फेल हो गए हैं। मंत्री पद के लिए ना तो परफेक्ट है और ना ही फिट। उन्होंने कहा था कि जो रिजल्ट नहीं दे पाएगा उसे हटा दिया जाएगा। इस फार्मूले के हिसाब से दोनों की कुर्सी खतरे में है। आईए देखते हैं भोपाल में किस विधायक ने अपने नेता श्री नरेंद्र मोदी के लिए कैसा प्रदर्शन किया:- 

विश्वास कैलाश सारंग, नरेला विधायक- पासिंग मार्क्स से 4.68% कम

श्री विश्वास सारंग, लगातार दूसरी बार मंत्रिमंडल में है। लगातार चार बार से नरेला विधानसभा से विधायक हैं। इनके पिता स्वर्गीय कैलाश सारंग, भोपाल में भाजपा के संस्थापक नेता थे। इस प्रकार नरेला विधानसभा सीट, सारंग परिवार की सीट मानी जाती है जो श्री विश्वास सारंग को अपने पिता स्वर्गीय श्री कैलाश सारंग से विरासत में मिली और परिवारवाद का विरोध करने वाली भाजपा ने इस उत्तराधिकार का सम्मान किया। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भारी विरोध के बावजूद को नरेला सीट पर भारतीय जनता पार्टी को 65.48 प्रतिशत वोट मिले थे लेकिन लोकसभा चुनाव में यहां वोटिंग का प्रतिशत गिरकर 60.80 रह गया है। श्री अमित शाह के फार्मूले के हिसाब से श्री विश्वास सारंग के प्राप्तांक न्यूनतम अनिवार्य पासिंग मार्क्स से 4.68% कम आए हैं। अब देखना यह है कि पार्टी सारंग पर विश्वास बनाए रखती है या इस रिजल्ट को अपने साथ विश्वास घात मानकर एक्शन लेती है। 

श्रीमती कृष्णा गौर, गोविंदपुरा विधायक पासिंग मार्क्स से 1.64% कम

भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक स्वर्गीय श्री बाबूलाल गौर की पुत्रवधू श्रीमती कृष्णा गौर को पहली बार मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। यह सीट भारतीय जनता पार्टी का गढ़ मानी जाती है। भोपाल लोकसभा चुनाव में यहां से भाजपा को अच्छी लीड मिलती है। स्वर्गीय श्री बाबूलाल गौर का यहां पर बड़ा जीवित संपर्क था। इस सीट पर भी परिवारवाद के चलते श्रीमती कृष्णा गौर को विधानसभा का टिकट मिला था और स्वर्गीय श्री बाबूलाल गौर के प्रति श्रद्धांजलि वोटिंग के चलते श्रीमती कृष्णा गौर पहली बार विधायक बनी थी। 

हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में श्रीमती कृष्णा गौर ने कुछ खास संघर्ष नहीं किया परंतु विधानसभा में विचारधारा से जुड़े नागरिकों की अत्यधिक संख्या, लाडली बहना योजना और प्रचार अभियान में नरेंद्र मोदी का मुख्य चेहरा होने के कारण न केवल अच्छी जीत मिली बल्कि श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया के चुनाव नहीं लड़ने के कारण मंत्रिमंडल में रिक्त हुई सीट भी मिली, लेकिन मंत्री पद मिलते ही श्रीमती कृष्णा गौर दूसरे कामों में व्यस्त हो गई है। और लोकसभा चुनाव प्रचार में वह न्यूनतम और अनिवार्य उपस्थित रही। नतीजा 1.64% वोट कम हो गए। 

भोपाल के विधायकों में किसने कैसा प्रदर्शन किया

  • विष्णु खत्री, बैरसिया विधायक - न्यूनतम पासिंग मार्क्स से 5.83% कम। तीसरी बार विधायक बने हैं। सीनियरिटी का लाभ मिल सकता था परंतु मंत्रिमंडल में शामिल होने की संभावना समाप्त। 
  • आलोक शर्मा, भोपाल उत्तर सीट से विधानसभा का चुनाव लड़े थे और हार गए थे। लोकसभा के चुनाव में भी अपनी सीट से हार गए हैं। इनके प्राप्तांक, न्यूनतम पासिंग मार्क्स से 3.55% कम, लेकिन कोई नुकसान नहीं होगा क्योंकि संसद में इन्हें श्री शिवराज सिंह चौहान के पीछे खड़े रहना है। 
  • विश्वास सारंग, नरेला विधायक - न्यूनतम पासिंग मार्क्स से 4.68% कम। मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री पद से मुक्त किए जाने की संभावना। सबसे खराब प्रदर्शन। यदि यही हाल विधानसभा चुनाव में हो जाता तो चुनाव हार जाते। 
  • भगवान दास सबनानी, भोपाल दक्षिण पश्चिम विधायक - न्यूनतम पासिंग मार्क्स से 2.78% कम। जातिवाद की राजनीति करते हैं जनता से संपर्क ही नहीं है। 
  • रामेश्वर शर्मा, हुजूर विधायक - मंत्री पद के जबरदस्त दावेदार हैं और इस बार पूरी संभावना थी परंतु इनके प्राप्तांक न्यूनतम पासिंग मार्क्स से 4.78% कम। इसलिए भविष्य में संघर्ष ज्यादा और संभावनाएं कम। 

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