पुलिस अधिकारी या किसी भी अधिकारी की यूनिफॉर्म अथवा उसके पद का प्रतीक स्टार अथवा उसकी विशेष दक्षता के प्रतीक मेडल धारण करना, तब तक अपराध नहीं होता जब तक कि उसे पहनने वाले व्यक्ति या लोक सेवक का आशय कोई अपराध करना, कपट करना या कोई बेईमानी करना, ना हो। यही बात नगा पो क्याव मामले मे न्यायालय ने कहा है कि किसी व्यक्ति के पास किसी वरिष्ठ अधिकारी की वर्दी मात्र होना उसे अपराधी नहीं कहा जा सकता है, जब तक की उस वर्दी पहनने का उद्देश्य कोई आपराधिक आशय न हो:-
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 205 एवं भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 171 की परिभाषा
अगर कोई व्यक्ति (जिसमें लोक सेवक / शासकीय कर्मचारी भी हो सकता है) कपटपूर्ण आशय से, बेईमान या किसी आपराधिक आशय से किसी वरिष्ठ अधिकारी की वर्दी पहनता है, उसकी टोकन धारण करता है, उसे मिले मेडल का इस्तेमाल करता है वह व्यक्ति BNS की धारा 205 एवं IPC की धारा 171 के अंतर्गत दोषी होगा।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 205 or Indian Penal Code Section 171 Provision of punishment
यह अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध के खिलाफ डायरेक्ट एफआईआर दर्ज होगी, या लोक सेवक किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद (शिकायत) भी दर्ज करवा सकता है। इन अपराध की सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है। इस अपराध के लिए अधिकतम तीन माह की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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