BNS 208 IPC 174 - समन, सूचना प्राप्त होने के बाद भी गैर हाजिर रहना कब दण्डनीय अपराध होता है, जानिए

किसी व्यक्ति को लोक सेवक या न्यायालय द्वारा हाजिर होने के लिए कोई समन, आदेश या नोटिस भेजा जाता है और वह इन आदेशों को प्राप्त कर लेता है लेकिन जब उसे प्राधिकृत लोक सेवक के समक्ष या न्यायालय के समक्ष हाजिर होना होता है तब वह वहां हाजिर नहीं होता तब तब उस व्यक्ति पर क्या कानूनी कार्रवाई होगी जानिए।

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 208 एवं भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 174 की परिभाषा 

जब किसी व्यक्ति को किसी लोक सेवक या न्यायालय के समक्ष हाजिर होना है और वह व्यक्ति हाजिर नहीं होता या ऐसे समन, आदेश या सूचना को प्राप्त करने के बाद उसे अनदेखा करता है तब वह व्यक्ति BNS की धारा 208 एवं IPC की धारा 174 के अंतर्गत दोषी होगा। 

न्यायालय में उपस्थित होकर बिना मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश हुए चले जाना भी अपराध है जानिए:-
बहुत से व्यक्ति समय से पहले न्यायालय कक्ष में या लोक सेवक के कार्यालय में उपस्थित हो जाते हैं लेकिन वह मजिस्ट्रेट या प्राधिकारी के समक्ष हाजिर नहीं होते हैं और बहाना बनाकर समय से पहले ही चले जाते हैं। तब भी वह दण्डित होगे जानिए।

किशन बापू मामले में आरोपी मजिस्ट्रेट द्वारा दिए गए समन के अनुपालन में लगभग सुबह 10 बजे न्यायलय में हाजिर हुआ लेकिन वह मजिस्ट्रेट के आने से पूर्व ही न्यायालय से वापस चला गया। उस व्यक्ति को न्यायालय द्वारा IPC की धारा 174 के अंतर्गत दोषसिद्ध किया गया।

Bharatiya Nyaya Sanhita Section 208 or Indian Penal Code Section 174 Provision of punishment

यह अपराध, आसंज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध के खिलाफ डायरेक्ट एफआईआर दर्ज नहीं होगी। इस अपराध के लिए कोई भी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद (शिकायत)  दर्ज होगा। इस अपराध की सुनवाई कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है। इस अपराध के लिए सजा दो भागों में दी जाती है:-
1.  राजस्व अधिकारी, पुलिस अधिकारी के समक्ष स्वयं या अधिवक्ता द्वारा उपस्थित नहीं होने पर एक माह की सादा कारावास या पांच सौ रुपये जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
2.  न्यायालय के समक्ष स्वयं या अधिवक्ता द्वारा उपस्थित नहीं होने पर अधिकतम छ: माह कारावास या एक हजार रुपये जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

नोट:- नए कानून भारतीय न्याय संहिता, 2023 में दण्ड जुर्माना पाँच सौ से बढ़ाकर 5000/- रुपये एवं एक हजार से बढ़ाकर 10000/- रुपये कर दिया गया है। लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।

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