झूठी सूचना, शिकायत या FIR दर्ज करवाने वाले को क्या सजा मिलती है, जानिए - legal advice

Bhopal Samachar
भारतीय नागरिक संहिता, 2023 की धारा 211 (IPC की धारा 177) उन व्यक्ति को दण्डित करती है जो व्यक्ति जानबूझकर किसी अपराध होने की घटना को छुपा लेते है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है की व्यक्ति किसी भी अपराध की झूठी सूचना मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी को दे।  अगर कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक (पुलिस या प्रशासन को) को झूठी सूचना या इत्तिला देता है तब ऐसे व्यक्ति पर क्या कानूनी कार्यवाही हो सकती है जानिए।

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 212 एवं भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 177 की परिभाषा 

जो कोई व्यक्ति किसी अपराध की झूठी, मिथ्था सूचना देगा, या जानकारी को छुपाएगा या कोई सूचना का लोप करेगा वह व्यक्ति BNS की धारा 212 एवं IPC की धारा 177 के अन्तर्गत दोषी होगा। 

झूठी एफआईआर दर्ज करवाना भी अपराध होता है जानिए:-

रामधन बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य राज्य मामले मे सुप्रीम कोर्ट द्वारा कहा गया है की झूठी एफआईआई दर्ज करवाना भी IPC की धारा 177 के अंतर्गत अपराध होता है। मामला कुछ ऐसा था, रामधन ने पुलिस थाने में एफडीआई दर्ज कारवाई की उसके पुत्र का अपहरण आरोपी बलराम द्वारा किया गया है। अतः पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 364 के अंतर्गत मामला दर्ज कर लिया और आरोपी के अपराध का विचारण कर उसे अपहरण के अपराध से दोषसिद्ध कर दिया। कुछ समय बाद फरियादी का पुत्र दिनेश घर वापस आ गया और उसने न्यायालय ने बताया की वह कुछ काम करने पंजाब चाला गया था। अतः सुप्रीम ने झूठी एफआईआर दर्ज करवाने वाले व्यक्ति को धारा 177 के अंतर्गत दोषी माना।

Bharatiya Nyaya Sanhita Section 212 or Indian Penal Code Section 177 Provision of punishment

"यह अपराध,असंज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध के खिलाफ डायरेक्ट एफआईआर दर्ज नहीं होगी, इस अपराध के लिए कोई भी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद (शिकायत) दर्ज करवा सकते हैं। इस अपराध की सुनवाई कोई भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है। इस अपराध के दण्ड के दो प्रकार होते हैं:-
1. कोई भी व्यक्ति द्वारा झूठी सूचना या इत्तिला लोक सेवक को देने वाले व्यक्ति को 06 माह की सादा कारावास या अधिकतम पाँच हज़ार जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
2. अपेक्षित व्यक्ति द्वारा किसी अपराध की झूठी सूचना या इत्तिला देने वाले व्यक्ति को दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।

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