शून्य थी मेरी माँ, जिसके साथ जुड़ी, उसकी वैल्यू बढ़ी - Mothers Day Special

Bhopal Samachar
माँ, एक ऐसी सार्वजनिक हस्ती है, जिसके आंचल में सबको लगता है कि वह उसकी व्यक्तिगत है। 7 मई तक मुझे भी लगता था कि माँ सिर्फ मेरी है, लेकिन 8 मई 2024 को जब वह अपनी माँ के पास गई तब दिखाई दिया। उसकी मानद संताने, उंगलियों पर गिनती नहीं की जा सकती। शिक्षकों ने समझाया था कि बच्चों के लिए उनकी माँ प्रथम गुरु होती है, लेकिन आज मुझे समझ में आया कि मेरी मां सिर्फ मेरी गुरु नहीं थी बल्कि पूरा गुरुकुल थी। सबके कष्ट ध्यान से सुनती थी और फिर ऐसा मोटिवेट करती थी कि, हर संघर्ष सरल हो जाता था। 

क्या मायका, क्या ससुराल और क्या शहर उनके आंचल की छांव सबको मिला 

मेरी बहनें कहती हैं कि, मैं उनका इकलौता पुत्र और उनकी सबसे लाडली संतान हूं परंतु आज मैं देखता हूं कि इस पंक्ति में मैं सबसे अंत में खड़ा हूं। उनकी पहली लाडली संतान ने मेरे जन्म से करीब 25 वर्ष पहले जन्म लिया था। मेरे जन्म से पहले पता नहीं उन्होंने कितने सारे पुत्रों का पालन पोषण किया। मुक्तिधाम में कुछ तो ऐसे थे जो किसी पेड़ के पीछे खड़े होकर आंसू छुपाने की कोशिश कर रहे थे। मैं समझता था कि मैं अपनी मां को बहुत बेहतर जानता हूं परंतु जब लोगों ने अपने प्रसंग सुनाए तब समझ में आया कि मैं तो अपनी मां को बहुत कम जानता था। सिर्फ उतना जितना उन्होंने जानने दिया। क्या मायका, क्या ससुराल और क्या शहर उनके आंचल की छांव और व्यक्तित्व की ऊर्जा हर उस व्यक्ति को मिली जो उनकी शरण में था। 

गुरु नहीं, पूरा गुरुकुल थी

उसके पास कोई डिग्री नहीं थी, सिर्फ पांचवी तक पढ़ाई की थी, लेकिन वात्सल्य, करुणा और कर्तव्य निष्ठा के विषय में उसके जैसा विशेषज्ञ मैंने अपने जीवन में नहीं देखा। पुत्र जब स्ट्रगल कर रहा होता है, तब उसे अपनी मां की हमेशा याद आती है। मेरी मां किसी का भी चेहरा देखकर समझ जाती थी कि वह संघर्ष में है। प्रेम से उसकी परिस्थितियों को सुनती और फिर ऐसा मोटिवेट करती कि, हर संघर्ष सरल हो जाता था। उसने कभी भेदभाव नहीं किया। यहां तक कि यह भी नहीं कहा कि जो निवाला तेरी भूख मिटाता है वह मैंने बनाया है। कहती थी यह तेरे कर्म का फल है, जो तुझे प्राप्त होता है। व्यक्तिगत रिश्ते सबको कभी ना कभी कष्ट देते ही हैं और ऐसी स्थिति में मां ने हमेशा सबको संभाला। मेरे लिए तो उसका हर शब्द मंत्र और जीवन ग्रंथ है परंतु उसके पूरे जीवन को यदि किसी एक शब्द में लिखना हो तो सिर्फ यही एकमात्र उचित और उत्तम होगा, कर्मण्येवाधिकारस्ते...। 🙏 Happy Mothers Day - माँ ✒️ उपदेश अवस्थी

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!