MP NEWS - हाई कोर्ट ने इमरती देवी से पूछा, जीतू पटवारी के खिलाफ SCST ACT क्यों लगवाया

Bhopal Samachar
जबलपुर स्थित हाई कोर्ट आफ मध्य प्रदेश ने पूर्व मंत्री श्रीमती इमरती देवी को नोटिस जारी करके पूछा है कि उन्होंने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष श्री जीतू पटवारी के खिलाफ अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज क्यों करवाया। श्री पटवारी ने उनकी जाति को लेकर कौन सा बयान दिया था और उन्हें जाति के आधार पर कब और किस प्रकार से अपमानित किया गया है। 

मैंने कोई जाति सूचक टिप्पणी नहीं की, जीतू पटवारी ने कहा

केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक पूर्व मंत्री श्रीमती इमरती देवी ने ग्वालियर जिले के डाबरा पुलिस थाने में कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री जीतू पटवारी के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है। जिसे चुनौती देते हुए जीतू पटवारी ने हाई कोर्ट में अपील दाखिल की है। न्यायमूर्ति श्री संजय द्विवेदी की एकल पीठ मामले की सुनवाई कर रही है। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को जवाब प्रस्तुत करने के लिए 2 जुलाई तक का समय दिया है। याचिकाकर्ता जीतू पटवारी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि उन्होंने जो बयान दिया था, उसमें उन्होंने किसी प्रकार की जातिसूचक टिप्पणी नहीं की थी। इसके अलावा ऐसा कोई इरादा नहीं था, जिसका उल्लेख एफआइआर में दर्ज किया गया है। 

जीतू पटवारी के खिलाफ एससी एसटी एक्ट के तहत अपराध नहीं बनता: एडवोकेट विभोर खंडेलवाल

बयान देने के आठ घंटे बाद उन्होंने सार्वजनिक रूप से माफी भी मांग ली थी। माफी मांगने के घंटो बाद उनके विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराई गई। इतना ही नहीं प्रदेश के अन्य पुलिस स्टेशनों में भी शिकायत की गयी।याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विभोर खंडेलवाल ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता के विरुद्ध एससी एसटी एक्ट के तहत अपराध नहीं बनता है, जो गैर जमानती है। प्रकरण में दर्ज की गयी अन्य धाराएं जमानती है। आवेदक ने अपने बयान में किसी के विरुद्ध जातिसूचक बयान नहीं दिए और कोई अभद्रतापूर्ण इशारे भी नहीं किए, जिसका उल्लेख एफआइआर में किया गया है। बिना किसी साक्ष्य के आधार पर उनके विरुद्ध एससी एसटी एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है।

हाई कोर्ट ने याचिका की सुनवाई के बाद अनावेदिका इमरती देवी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इसके साथ ही न्यायालय ने एफआइआर दर्ज किये जाने के विरुद्ध प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को स्वतंत्रता दी है कि वह अग्रिम जमानत के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर करने स्वतंत्र है। 

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