मध्य प्रदेश का धार्मिक शहर उज्जैन, विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर और मोक्षदायिनी शिप्रा नदी आज तक कभी चुनावी मुद्दा नहीं रहे परंतु इस बार बन गए थे। कुछ दोनों पहले मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने शिप्रा नदी में स्नान और आचमन करके यह साबित किया था की नदी का पानी पूरी तरह से स्वच्छ और निर्मल है परंतु आज खबर आई है की नदी किनारे सैकड़ो मछलियां मरी हुई पाई गई।
पवित्र शिप्रा नदी के पानी से बदबू आने लगी है
शिप्रा नदी के नरसिंग और गऊघाट पर दो दिनों से सैकड़ों मछलिया शिप्रा नदी के प्रदूषित पानी के कारण मर गई। मरी हुई मछलिया घाटों और नदी के बीच तैरती रही। घाट बदबू मार रहे लेकिन अधिकारियों ने मछलियों की डेड बॉडी को नदी से निकलने का काम भी नहीं किया। लोकल मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मोक्षदायिनी शिप्रा नदी के हालत बेहद ख़राब होते जा रहे है। कुछ दिन पूर्व गंदे नाले मिलने पर प्रदूषित पानी में कांग्रेस विधायक महेश परमार ने डुबकी लगाई तो उसका जवाब देने एक लिए आए सीएम मोहन यादव ने शिप्रा नदी के दत्त अखाडा घाट पर डुबकी लगा दी थी। इसके बाद सीएम ने शिप्रा नदी के साफ होने के दावे किये थे। लेकिन एक बार फिर गुरुवार और शुक्रवार को बड़ी संख्या में शिप्रा नदी में मछलिया मर गई। जिसके कारण पानी बदबू मारने लगा।
शिप्रा शुद्धिकरण को लेकर कई बार बात उठी लेकिन आज भी हालत जस के तस है। महेश परमार ने आरोप लगाया था कि इंदौर से आने वाली कान्ह नदी का पानी प्रदूषित होने के बाद त्रिवेणी पर शिप्रा में मिल जाता है जिसके चलते शिप्रा नदी का पानी प्रदूषित हो रहा है। नरसिंग घाट पर पानी मे मछलियां मरी दिख रही तो वहिं गऊ घाट पर घाट के ऊपर मरी मछलियों का ढेर लगा है। हालात यह है कि घाटों पर श्रद्धालुओं का बैठना मुश्किल हो गया है। नदी में स्नान करना तो दूर की बात है। यहाँ आने पर बदबू आ रही है। इस मामले में हमने नगर निगम कमिश्नर आशीष पाठक से बात करनी चाही लेकिन उन्होंने फोन रिसिवि नहीं किया।
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