सरकारी नौकरी के लिए आयोजित भर्ती परीक्षा में शामिल होने वाले दिव्यांगों को अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के बराबर आरक्षण का लाभ प्राप्त होगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसके लिए अंतरिम आदेश जारी किया गया है। मामले की सुनवाई चल रही है और इसका जो भी फैसला होगा, वह सभी पर लागू होगा।
मध्य प्रदेश सिविल जज भर्ती परीक्षा में शामिल हुए एक दृष्टिबाधित उम्मीदवार ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ को एक पत्र लिखा था। इसमें उम्मीदवार ने बताया कि वह परीक्षा में शामिल हुआ है परंतु उसे साक्षात्कार में शामिल नहीं किया जा रहा है क्योंकि उसके प्राप्तांक नियुक्तिकर्ता द्वारा निर्धारित न्यूनतम सीमा से कम हैं। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने इस पत्र को एक याचिका के रूप में कंसीडर किया और मामले की सुनवाई के लिए विशेष बेंच का गठन किया।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पीएस नरसिम्हन, जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने इस मामले में एक अंतरिम आदेश जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम फैसले में कहा कि दृष्टिबाधित, विकलांगता के ऐसे दावेदार, जिन्हें एससी-एसटी वर्ग के आरक्षित दावेदारों के बराबर अंक हासिल हुए हैं तो उन्हें भी इंटरव्यू के लिए बुलाया जाए। यहां ध्यान देना होगा कि यह अंतिम फैसला नहीं है। मामले में जो भी अंतिम फैसला आएगा वह इस भर्ती परीक्षा के रिजल्ट पर प्रभावी होगा।
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