मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल और इसके आसपास रहने वाले फूड लवर्स और फूड ब्लॉगर्स के लिए आने वाले 6 दिन बड़े काम के हैं। तैयारी के लिए बहुत समय नहीं बचा है। 6 जून से भोपाल में एक ऐसा कार्यक्रम आयोजित होने जा रहा है जिसमें न केवल ट्राइबल फूड्स देखने को मिलेंगे बल्कि उनका स्वाद भी लिया जा सकता है। मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे।
भोपाल ट्राईबल फूड फेस्टिवल में कौन-कौन सी डिश मिलेंगी
भोपाल ट्राईबल म्यूजियम का 6 जून को स्थापना दिवस है। इस अवसर पर पूरे सप्ताह खास कार्यक्रम आयोजित किया जा रहे हैं। इस पूरे कार्यक्रम में ट्राइबल फूड्स आकर्षण का केंद्र रहेंगे। जनजातीय संग्रहालय में होने वाले इस फूड फेस्टिवल में खास तौर पर उड़ीसा की खास महुआ पीठा जिसे आम भाषा में पेठा भी कहा जाता है। सर्व किया जाएगा। इसके अलावा मणिपुर की चहऊ जो कि चावल की खीर होती है। गुजरात की करी खिचड़ी और बाजरे का रोटला आदि सर्व किया जाएगा। इसके अलावा मध्य प्रदेश के कई ट्राइब्स के खाने भी यहां मौजूद रहेंगे। जिसमें मक्का की रोटी, चटनी, दाल पतिया, महुआ के जलेबी, महुआ के लड्डी, महुआ के गुलाब जामुन, महुआ की पूडी़ चटनी आदि सर्व की जाएगी।
भोपाल ट्राईबल म्यूजियम फाऊंडेशन डे फेस्टिवल का शेड्यूल
6 जून :मालवा का लोक संगीत पर आधारित गाने का कार्यक्रम होगा इसमें उज्जैन के कलाकार स्वाति उखले और अजय गांगोलिया एवं साथी कलाकारों की बैंड प्रस्तुति होगी। इसी दिन रामचंद्र सिंह के निर्देशन में ‘वीरांगना रानी दुर्गावती’ की प्रस्तुति होगी।
7 जून: इसमें बुंदेलखंड के कलाकार लोकसंगीत की प्रस्तुति देंगे। इसके अलावा शाम को अतिथि राज्य गुजरात के कलाकारों का सिद्धीधमाल, होली हुडोरास, मणियारोरास और ढोलोराणो-टिटोडो नृत्य की प्रस्तुतियां होंगी।
8 जून: कार्यक्रम की शुरुआत बघेलखंड लोक संगीत की प्रस्तुति होगी। इसके बाद अतिथि राज्य में ओडिसा के कलाकारों का छाऊ, शंखध्वनि, गोटीपुआ और पाइका नृत्य होगा।
9 जून :इस दिन गायन की शुरुआत निमाड़ गायन से होगी। इसके बाद अतिथि राज्य तेलंगाना के कलाकारों का ओगूढोलू, कोमूकोया, बोनालू और लांबड़ी नृत्य होगा।
10 जून : इस दिन मणिपुर राज्य का लोक संगीत, लाई हरोबा, थांग-टा, पुंग चोलम, ढोल-ढोलक चोलाम, बसंत रास की प्रस्तुतियां देंगे।
भोपाल के ट्राईबल म्यूजियम में घूमने के लिए नया क्या है
जनजातीय समुदाय की जीवन शैली को समझने प्रदेश की सात प्रमुख जनजातियों क्रमशः गोंड, भील, बैगा, कोरकू, भारिया, सहरिया और कोल के सात आवास बनाए गए हैं। इन आवासों का शुभारंभ 6 जून को किया जाएगा। वहीं संग्रहालय में 2 टन लोहे से गोंड समुदाय का वाद्य यंत्र ‘बाना’ तैयार हो गया है। 35 फीट लंबा यह वाद्य यंत्र जनजातीय संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर स्थापित किया जा चुका है, जिसका शुभारंभ स्थापना दिवस पर किया जाएगा।
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