Google Translate में भारत की 7 नई भाषाओं को शामिल किया गया, पढ़िए किसको और कितना फायदा होगा

गूगल ने भाषाओं से संबंधित अपने सबसे लोकप्रिय टूल Google Translate में भारत की 7 नई भाषाओं को शामिल किया है। गूगल के इस कदम के कारण न केवल इन 7 भारतीय भाषाओं के नागरिक दुनिया भर की किसी भी भाषा में लिखे गए डॉक्यूमेंट को अपनी भाषा में पढ़ सकते हैं बल्कि इन 7 भारतीय भाषाओं को इंटरनेट पर पूरी दुनिया में विस्तार मिलेगा। 

Google Translate में कौन-कौन सी 7 नई भारतीय भाषाओं को शामिल किया गया है

अवधी भाषा - इसका भाषा परिवार इंडो-आर्य, पूर्वी हिंदी है। सन 2019 की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में इस भाषा को बोलने वालों की संख्या 1.2 करोड़ है। यह मुख्य रूप से भारत के उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र में बोली जाती है। इसकी शब्दावली और व्याकरणिक संरचना बहुत अनूठी है। विश्व की सबसे लोकप्रिय धार्मिक कथा श्री रामचरितमानस, अवधी भाषा में लिखी गई थी। 

बोड़ो भाषा - इसका भाषा परिवार तिब्बती-बर्मन है। यह भारत के असम राज्य में और पूर्वोत्तर क्षेत्र में बोली जाती है। इसके साहित्य में सैकड़ो लोक कथाएं और हजारों कविताएं शामिल हैं। यह मूलरूप से बोलचाल की भाषा है। 

खासी भाषा - यह भी भारत के पूर्वोत्तर में और मुख्य रूप से मेघालय राज्य में बोली जाती है। इसका व्याकरण काफी जटिल होता है। खासी साहित्य में कहानी और कविताओं का संग्रह काफी अच्छा देखने को मिलता है। सन 2011 की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में खांसी भाषा के वक्ताओं की संख्या केवल 13 लाख रह गई थी। आपको यह जानकर कुछ अपनापन सा लगेगा कि, "नमस्कार" खासी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है नमस्ते। 

कोकबोरोक - यह भी पूर्वोत्तर भारत की भाषा है और मुख्य रूप से त्रिपुरा राज्य में बोली जाती है। इसमें बंगाली भाषा का प्रभाव दिखाई देता है। इसके साहित्य में भी लोक कथाएं, गीत और कविताओं का बड़ा अच्छा संग्रह है। सन 2011 की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में इस भाषा के वक्ताओं की संख्या सिर्फ 10 लाख रह गई थी। 

मारवाड़ी - यह इंडो आर्य राजस्थानी भाषा परिवार से आती है। इसका साहित्य काफी समृद्ध है। 2011 की रिपोर्ट के अनुसार शुद्ध मारवाड़ी भाषा के वक्ताओं की संख्या डेढ़ करोड़ थी। वैसे कई भारतीय भाषाओं में मारवाड़ी शब्दों का प्रयोग किया जाता है। यहां तक की बॉलीवुड की फिल्मों में भी मारवाड़ी भाषा के शब्द सुनने को मिलते हैं। मारवाड़ी भाषा का एक वाक्य "खेम छो" कई दूसरी भाषाओं के लोगों द्वारा भी उपयोग किया जाता है जिसका अर्थ होता है "आप कैसे हैं"। 

संताली या संथाली - यह भाषा पूर्वी भारत यानी झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में बोली जाती है। सन 2011 की रिपोर्ट में इस भाषा के वक्ताओं की संख्या 75 लाख थी। इस भाषा की एक समृद्ध लोक परंपरा है। इसकी साहित्य में लोक कथाएं, कविताएं, गीत और धार्मिक कहानी एवं प्रार्थनाएं शामिल है। 

तुलु - द्रविड़, दक्षिण द्रविड़ भाषा परिवार से आती है। यह भारत में लुप्त होती भाषा है। अब इसका साहित्य और इसके वक्ताओं की संख्या इतनी कम हो गई है कि, सरकारी रिकॉर्ड में इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। 

Google Translate से क्या फायदा होगा

ऐसे लोग जो उपरोक्त भाषाओं पर निर्भर करते हैं और दूसरी किसी भी भाषा को पढ़ना नहीं जानते हैं, गूगल ट्रांसलेट की मदद से अब वह पूरी दुनिया भर का साहित्य और जरूरी बातों को अपनी भाषा में पढ़ पाएंगे। इसके कारण उनके जीवन में भाषा की बाधा नहीं रहेगी। 

इसका दूसरा सबसे बड़ा फायदा उपरोक्त भाषाओं के साहित्यकारों और विशेषज्ञों को होगा। अब उनके साहित्य, रिसर्च, विचार और उन सब बातों को पूरी दुनिया जान पाएगी, जो भाषा के कारण केवल उन तक सीमित रह जाते थे। यह दुनिया भर के साहित्यिक पारिस्थितिक तंत्र के लिए बेहद उपयोगी है। इसके कारण सभी भाषाएं अपने मूल स्वरूप में जीवित रहेंगी और इंटरनेट के कारण उन्हें पूरी दुनिया में विस्तार मिलेगा। 

भाषा का क्या महत्व होता है

एक भाषा मनुष्य प्रजाति के लिए कितनी महत्वपूर्ण होती है यह समझने के लिए केवल एक उदाहरण काफी है। इंडस वैली यानी सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान किस भाषा का उपयोग किया जाता था, मंगल तक पहुंच जाने के बाद भी हम इसका पता नहीं लगा पाए हैं। न केवल दुनिया भर के विशेषज्ञ बल्कि दुनिया भर की सरकारें भी चिंता में है क्योंकि सब जानना चाहते हैं कि सिंधु घाटी सभ्यता क्यों समाप्त हो गई। मोहनजोदड़ो जैसे शानदार शहर क्यों खत्म हो गए। यदि हम जान पाएंगे तो अपने शहरों और अपनी पृथ्वी, उन में रहने वाले करोड़ नागरिक और जीव जंतुओं को कम से कम उसे आपदा अथवा विपदा से बचा सकेंगे, या बचाने का प्रयास कर सकेंगे जो सिंधु घाटी सभ्यता की समाप्ति के लिए जिम्मेदार है। ✒ उपदेश अवस्थी। 

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