बेटे को बचाने अपना खून देने वाली मां गिरफ्तार - पुणे पोर्श मामला - Hindi News

Bhopal Samachar
जबलपुर मध्य प्रदेश के युवा इंजीनियर अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा को पुणे महाराष्ट्र में कार से कुचल डालने के मामले में पोर्श कार चल रहे नाबालिक लड़के की मां को गिरफ्तार कर लिया गया है। महिला ने अपने बेटे को बचाने के लिए अपना खून दे दिया था। यह एक ब्लड सैंपल था, जो जांच के लिए जा रहा था। इसे प्रमाणित होना था कि, एक्सीडेंट के समय लड़का नशे में था या नहीं। मां ने लड़की की जगह अपना ब्लड सेंपल दे दिया था। ताकि खून में अल्कोहल की मात्रा ना मिले। 

शिवानी अग्रवाल किसी अज्ञात स्थान पर जाकर छुप गई थी

पुणे पोर्श कार केस में नाबालिग आरोपी की मां को शनिवार (1 जून) को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुणे पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने इसकी जानकारी दी है। नाबालिग आरोपी की मां शिवानी अग्रवाल पर अपने बेटे का ब्लड सैंपल बदलवाने के लिए अपना ब्लड सैंपल देने और डॉक्टरों को पैसे देने का आरोप है। शिवानी अग्रवाल पिछले कुछ दिनों से घर से गायब थीं। 

क्राइम ब्रांच नाबालिग से पूछताछ करेगी

पुलिस ने कोर्ट में बताया था कि नाबालिग आरोपी का ब्लड सैंपल किसी महिला के सैंपल से बदला गया था, ताकि ये दिखाया जा सके कि घटना के वक्त वह नशे में नहीं था। यह महिला और कोई नहीं, आरोपी की मां ही थी। उधर, पुणे पुलिस की क्राइम ब्रांच आज नाबालिग से पूछताछ करेगी। पुणे के कल्याणी नगर इलाके में 18-19 मई की रात 17 साल 8 महीने के एक लड़के ने IT सेक्टर में काम करने वाले बाइक सवार युवक-युवती इंजीनियर अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा को टक्कर मारी थी, जिससे दोनों की मौत हो गई। घटना के समय आरोपी नशे में था। वह 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से कार चला रहा था। 

पिता-दादा सहित अब तक 11 गिरफ्तार

इस मामले में आरोपी की मां सहित अब तक 11 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। नाबालिग के पिता को 21 मई और दादा को 25 मई को गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा ससून अस्पताल के दो डॉक्टर, एक स्टाफ और पब के मालिक-मैनेजर और स्टाफ सहित 8 लोग शामिल हैं। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB) ने नाबालिग को 5 जून तक के लिए बाल सुधार गृह भेजा है।

पुणे कोर्ट ने शुक्रवार (31 मई) को आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल और दादा सुरेंद्र अग्रवाल को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। उन दोनों पर ड्राइवर का अपहरण करने और उस पर हादसे की जिम्मेदारी लेने का दबाव बनाने का आरोप है। पुणे क्राइम ब्रांच ने कहा है कि सबूत मिटाने के लिए किसी तीसरे व्यक्ति ने आरोपियों की मदद की। उसकी पहचान भी की जा रही है।

ब्लड सैंपल बदलने के लिए 50 लाख में डील हुई थी

पुणे के ससून अस्पताल के डॉ. तावरे ससून और डॉ. हलनोर को अस्पताल के एक स्टाफ अतुल घाटकांले के साथ 27 मई को गिरफ्तार किया गया था। तीनों ने किसी और के ब्लड सैंपल के आधार पर आरोपी की मेडिकल रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें शराब का अंश नहीं था। डॉ. तावरे ससून अस्पताल के फोरेंसिक मेडिसिन डिपार्टमेंट का प्रमुख और डॉ. हलनोर चीफ मेडिकल ऑफिसर था। दोनों को बुधवार (29 मई) को सस्पेंड कर दिया गया। अस्पताल के डीन डॉ विनायक काले को छुट्टी पर भेज दिया गया है।

डॉ. हलनोर ने पूछताछ में बताया कि ब्लड सैंपल बदलने के लिए आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल और उनके बीच 50 लाख रुपए की डील हुई थी। विशाल अग्रवाल ने डॉ. अजय तावरे से संपर्क किया था। हादसे के बाद दोनों के बीच 15 बार वॉट्सऐप पर बातचीत हुई। तावरे के कहने पर विशाल अग्रवाल ने पहली किस्त के 3 लाख रुपए दिए थे।

पुलिस ने बताया कि अब तक डॉ. हेलनोर के घर से 2.5 लाख रुपए और अस्पताल के कर्मचारी के घर से 50 हजार रुपए बरामद किए गए हैं। डॉ. तावरे के ठिकानों पर अभी सर्चिंग करनी है। पहले माना जा रहा था कि नाबालिग का ओरिजनल ब्लड सैंपल डस्टबिन में फेंक दिया गया था। हालांकि, पुलिस का अब कहना है कि ऐसा नहीं हुआ है। डॉ. हेलनोर ने सैंपल किसी शख्स को सौंपा था। उसकी तलाश की जा रही है। 

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