भारत की पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने शादी के वादे पर अपना सब कुछ सौंप देने वाली लड़की द्वारा दर्ज करवाया गया रेप केस खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि, सिर्फ शादी के वादे पर फिजिकल रिलेशन बनाने वाली लड़की ब्रेकअप के बाद पीड़िता नहीं हो जाती। लोअर कोर्ट ने उसके बॉयफ्रेंड को 7 साल की सजा दी थी। हाई कोर्ट ने पूरा केस ही खारिज कर दिया।
लव स्टोरी में दुष्कर्म का मामला तभी बनता है, जब...
हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि वादा पूरा न करने का मतलब हर बार यह नहीं निकाला जा सकता कि वादा झूठा था। दुष्कर्म का मामला तभी बनता है, जब वादे के पीछे धोखे का इरादा हो। फैसले में हाईकोर्ट के जस्टिस हरप्रीत बराड़ ने कहा कि पीड़िता की गवाही के अनुसार वह प्रेमी से एक बार पहले मिली थी। उसी दिन उसने उसके साथ भागने का फैसला कर लिया। ऐसे में यह असंभव सा लगता है कि अपीलकर्ता प्रेमी ने दूसरी बार मिलने में ही शादी का झूठा वादा किया होगा।
हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़िता की गवाही से पता चलता है कि आरोपी ने उसका मर्जी के खिलाफ अपहरण नहीं किया था। वह उसकी बाइक पर पीछे बैठी। फिर वे काला अंब के पास गए। वहां कई दिन तक साथ रहे। महिला की ओर से सहमति ना होना, रेप को साबित करने के लिए अनिवार्य है।
मर्जी से घर छोड़ प्रेमी के साथ गई महिला
इस मामले में दर्ज FIR के मुताबिक आरोपी उसके बॉयफ्रेंड ने शादी के लिए घर से भाग जाने को कहा। जिसके बाद लड़की अपनी मर्जी से उसके साथ चली गई। इसके बाद प्रेमी उसे ट्यूबवेल पर ले गया। जहां उसके साथ रेप किया। इसके बाद पीड़िता की मेडिको लीगल जांच की गई। जिसके बाद FIR में रेप की धाराएं जोड़ दी गई।
प्रेमी का वकील बोला- 3 दिन साथ रही, कोई विरोध नहीं किया
कोर्ट में प्रेमी के वकील ने कहा कि लड़की वयस्क है। वह अपनी मर्जी से प्रेमी के साथ भागी थी। महिला 3 दिन तक उसके साथ रही। बाइक पर लंबी दूरी तक भी गई। इस दौरान महिला ने किसी तरह का कोई विरोध नहीं किया। इन सब परिस्थितियों से साबित होता है कि महिला की सहमति थी। इसलिए इस मामले में अपीलकर्ता प्रेमी ने कोई अपराध नहीं किया। दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि लड़की की उम्र 18 साल से अधिक है। इसमें ऐसा कोई सबूत नहीं कि आरोपी के साथ रहने के दौरान उसने कोई विरोध किया हो।
यमुनानगर कोर्ट ने सुनाई थी सजा
इस मामले में यमुनानगर की एडिशनल सेशन कोर्ट ने प्रेमी को सजा दी थी। जिसमें IPC की धारा 376 के तहत 7 साल कैद, 363 के तहत 2 साल और 366 के तहत 5 साल की कठोर कैद की सजा दी गई थी। सभी सजा एक साथ चलनी थी, इसलिए उसे अधिकतम 7 साल की कैद हुई। जिसे हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए प्रेमी को बरी कर दिया।
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