मकान मालिक और किराएदारों के बीच अक्सर विवाद हो जाते हैं। विवादों का निपटारा नहीं होता है इसलिए बात बढ़ती चली जाती है और हिंसा तक पहुंच जाती है, और फिर उन्हें पुलिस कार्रवाई का सामने करना होता है, लेकिन हम आपको बताते हैं कि मकान मालिक और किराएदारों के बीच विवादों के निपटारे के लिए भी कानून है। झगड़ा करने की जरूरत नहीं है। दोनों पक्ष निर्धारित कानून का पालन करने के लिए बाध्य होते हैं और उल्लंघन करने पर दंड प्रावधान भी है।
किराया नियंत्रण अधिनियम अथवा Rent Control Act 1948
मकान मालिक और किराएदारों के बीच में होने वाले विवादों के निपटारे के लिए किराया नियंत्रण अधिनियम बनाया गया है। यह अधिनियम मकान मालिक और किराएदार दोनों पर लागू होता है और दोनों के हितों की रक्षा करता है। यदि कोई अधिनियम का उल्लंघन करता है तो उसे दंडित किया जाता है। इसलिए यदि मकान मालिक और किराएदार के बीच में कोई विवाद होता है तो उन्हें रेंट कंट्रोल एक्ट के तहत अपना मामला स्थानीय कलेक्टर कोर्ट में प्रस्तुत करना चाहिए। मारपीट करने की आवश्यकता नहीं है, और ना ही किसी एक पक्ष के शक्तिशाली होने पर दूसरे पक्ष को उससे भयभीत होने की आवश्यकता है।
किराएदार को अचानक बेदखल नहीं कर सकते
विवाद होने की स्थिति में कई बार मकान मालिक, अपने किराएदार को अचानक बेदखल कर देते हैं। घर खाली करने के आदेश दे देते हैं। यदि किराएदार इसके बाद भी घर खाली नहीं करता तो मकान मालिक उसकी इलेक्ट्रिसिटी और वाटर सप्लाई कट कर देते हैं। उसके आने जाने बाधा उत्पन्न कर देते हैं। रेंट कंट्रोल एक्ट 1948 के तहत इस प्रकार की सभी गतिविधियां अपराज की श्रेणी में आती हैं। एग्रीमेंट की अवधि से पहले यदि किराएदार से मकान खाली करवाना है तो उसे नोटिस देना अनिवार्य है।
क्या किराएदार अचानक मकान खाली करके जा सकता है
रेंट कंट्रोल एक्ट 1948, किराएदार को इस बात के लिए पाबंद करता है कि वह एग्रीमेंट में लिखी गई निर्धारित अवधि से पूर्व अचानक मकान खाली करके नहीं जा सकता है। यदि वह आशा करता है तो उसे किराया नियंत्रण अधिनियम के तहत पेनल्टी का भुगतान करना होगा। यदि उसके पास कोई पर्याप्त कारण है तो मकान मालिक को नोटिस देकर एग्रीमेंट में लिखी गई शर्तों के अनुसार मकान खाली कर सकते हैं।
मकान मालिक किराएदार से कितना सिक्योरिटी डिपाजिट ले सकता है
भारत के कुछ प्राइम लोकेशन वाले इलाकों में और ज्यादातर मेट्रो सिटी में, मकान मालिक किराएदारों से मनचाहा सिक्योरिटी डिपाजिट जमा करवाते हैं, लेकिन किराया नियंत्रण अधिनियम 1948 के तहत यह गैरकानूनी है और इसके लिए मकान मालिक को दंडित किया जा सकता है। मकान मालिक अपने किराएदार से निर्धारित मासिक किराए का अधिकतम 2 गुना अर्थात 2 महीने का किराया सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में ले सकता है।
मकान मालिक और किराएदार के बीच विवाद की शिकायत कहां कर सकते हैं
स्थानीय जिलाधिकारी अथवा कलेक्टर अथवा जिला मजिस्ट्रेट के ऑफिस में रेंट कंट्रोल एक्ट 1948 के तहत लिखित शिकायत की जा सकती है। यह अधिनियम दोनों पक्षों को शिकायत करने के लिए स्वतंत्र करता है। डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट द्वारा मामले की सुनवाई की जाती है और अधिनियम के तहत फैसला सुनाया जाता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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