मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में स्थित माधव बाल निकेतन से मुंबई के चार बच्चे गायब हो गए। उनके साथ क्या हुआ है, वह कहां पर है और सुरक्षित हैं या नहीं। फिलहाल किसी सवाल का कोई जवाब नहीं है। चिंता की बात यह है कि ग्वालियर पुलिस इस मामले में पीड़ित परिवार और मुंबई पुलिस का सपोर्ट नहीं कर रही है। घटनास्थल ग्वालियर है परंतु ग्वालियर पुलिस का कहना है कि यह केस मुंबई पुलिस का है, वही इन्वेस्टिगेट करेगी।
मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच की इन्वेस्टीगेशन स्टोरी
सभी बच्चे मुंबई के अंधेरी ईस्ट में रहते हैं। सबसे बड़ी लड़की की उम्र 17 वर्ष, दूसरी लड़की 15 वर्ष, तीसरी लड़की 10 वर्ष और सबसे छोटा लड़का 7 वर्ष का है। मम्मी पापा के बीच अक्सर लड़ाई हो जाती थी इसलिए 26 तारीख को चारों बच्चे घर से गायब हो गए। मुंबई पुलिस इन्वेस्टिगेशन कर रही है। 27 तारीख को ग्वालियर में बच्चों ने PhonePe से एक पेमेंट किया। इस पेमेंट रिकॉर्ड के आधार पर मुंबई पुलिस ग्वालियर पहुंची। पेमेंट ग्वालियर के ऑटो रिक्शा ड्राइवर दिलीप धाकड़ को किया गया था। दिलीप धाकड़ ने बताया कि, एक लड़के ने चारों बच्चों को ऑटो रिक्शा में बिठाया था। माधव बाल निकेतन छोड़ने के लिए कहा था। उसने ऑटो रिक्शा में बैठे बच्चों का फोटो भी खींचा था। ऑटो रिक्शा ड्राइवर ने बताया कि, उसने सभी चारों बच्चों को माधव बाल निकेतन में छोड़ा था। वह बच्चों के साथ अंदर तक गया था। इसके बाद 5 मिनट तक बाहर खड़ा रहा। मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच मामले की जांच कर रही है। उसे पता चला है कि बच्चे पंजाब मेल में सवार होकर मुंबई से रवाना हुए थे। इसी ट्रेन में उन्हें वह लड़का मिला था जिसने उन्हें माधव बाल निकेतन छोड़ा। लड़का मुरैना का रहने वाला है। वह मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच के कांटेक्ट में है।
माधव बाल निकेतन वाले झूठ क्यों बोल रहे हैं
इधर माधव बाल निकेतन के प्रबंधन का कहना है कि बच्चे उनके यहां आए ही नहीं थे। CCTV कैमरे का रिकॉर्ड नहीं है। कहते हैं कि हमारे यहां तो सिर्फ तीन दिन तक रिकॉर्ड रहता है। वैसे भी कई कैमरे खराब है। बाल निकेतन के चेयरमैन नूतन श्रीवास्तव का कहना है कि हमारे यहां बाल कल्याण समिति में पेश हुए बिना कोई बालक या बालिका सीधे आ ही नहीं सकता। जबकि माधव बाल निकेतन की एक महिला कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि बच्चे माधव बाल निकेतन के अंदर आए थे, लेकिन जब बाल निकेतन में मिठाई बांटी गई तब बच्चे नहीं थे।
ग्वालियर पुलिस किनारा क्यों कर रही है
जनकगंज पुलिस थाना जिला ग्वालियर के प्रभारी वितेंद्र सिंह चौहान का कहना है कि मुंबई पुलिस ही इस मामले में पूरी जांच कर रही है। उन्होंने पत्रकारों को इस मामले में कुछ भी बताने से मना कर दिया है। सवाल यह है कि ग्वालियर पुलिस इस मामले से किनारा क्यों कर रही है। बच्चे मुंबई से गुमशुदा हुए हैं परंतु माधव बाल निकेतन से गायब हो गए हैं। यह एक नई घटना है और घटना स्थल ग्वालियर जिले में आता है। ग्वालियर पुलिस बच्चों को बचाने की कोशिश करने की बजाय, ऑटो रिक्शा वाले और मुरैना के लड़के पर सवाल खड़े कर रही है। पुलिस वालों का कहना है कि उन दोनों ने रेलवे स्टेशन पर जीआरपी अथवा आरपीएफ को सूचना क्यों नहीं दी। ग्वालियर पुलिस का कहना है कि माधव पाल निकेतन ने हमें बच्चों के गायब होने की सूचना नहीं दी है।
कुल मिलाकर ग्वालियर से चार बच्चे गायब हो गए हैं। इनमें दो लड़कियां 17 वर्ष और 15 वर्ष की है। मामला बेहद सेंसिटिव है और समाचार लिखे जाने तक बच्चों के बारे में सुराग लगा तो दूर, उनकी तलाश के लिए कोई संयुक्त कार्रवाई भी नहीं शुरू हुई है।
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