मध्य प्रदेश के सागर जिले में एक शासकीय शिक्षक ने अपनी पत्नी के साथ फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। बताया गया है कि वह कॉलोनाइजर बनना चाहते थे। बड़े पैमाने पर प्लॉट खरीदने और बेचने का काम शुरू कर दिया था। इसी कारोबार के चलते साहूकारों से 10% ब्याज पर लोन ले लिया था। डंडा बैंक की वसूली उनकी आत्महत्या का कारण बनी।
दीवारों पर कबीर के दोहे लिखे हुए हैं
शिक्षक का नाम रामविलास शुक्ला उम्र 54 वर्ष थी। वह सागर जिले की जनकपुर प्राथमिक शाला में पदस्थ थे। उनकी पत्नी श्रीमती वंदना शुक्ला केसली में उनके साथ रहती थी। 11 साल पहले उनके बेटे की मृत्यु हो गई थी और तब से अब तक उनके पास कोई संतान नहीं थी। सिरोंजा में उनका निजी मकान था। जिसे कुछ दिन पहले बेच दिया था परंतु एक कमरा अपने पास रख लिया था। पति-पत्नी अक्सर यहां पर अपने अच्छे दिनों की याद करने के लिए आया करते थे। इस कमरे की दीवारों पर कबीर के दोहे लिखे हुए हैं। जीवन को सही मार्गदर्शन मिले इसलिए हरियाणा के रामपाल बाबा को गुरु मान लिया था। अच्छे संस्कार होने के बावजूद जिंदगी में वह सब कुछ हो गया, जिसकी कोई कल्पना भी नहीं करता।
योगेंद्र राजपूत से कर्जा लिया था
पुलिस ने बताया कि सुसाइड नोट मिला है। कुछ लोगों के मौखिक बयान भी मिले हैं। इसके आधार पर पता चला है कि रामविलास शुक्ला प्रॉपर्टी का काम करने लगे थे। प्लॉट खरीद कर बेचते थे। सिरोंजा में अवैध कॉलोनियों भी बन रही है। शुक्ला जी ने इन कॉलोनियों में अपना पैसा इन्वेस्ट कर दिया। कुछ सौदे कैंसिल हो गए। शुक्ला जी ने सुसाइड नोट में बताया है कि उन्होंने योगेंद्र राजपूत से 10% ब्याज पर पैसा लिया था। वह वसूली के लिए घिनौनी धमकियां दे रहा था। उन्होंने अपनी मृत्यु के लिए महेंद्र सिंह और राजाराम गौड़ को भी जिम्मेदार बताया है।
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