मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत और लोकसभा चुनाव में 100% सीटों पर जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री विष्णु दत्त शर्मा को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। सबसे पहले कहा गया कि उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब लोग जानने की कोशिश कर रहे हैं कि, कार्यकाल पूरा होने के बाद श्री विष्णु दत्त शर्मा का क्या होगा।
मध्य प्रदेश में डॉ मोहन यादव का लंगर है वीडी शर्मा
श्री विष्णु दत्त शर्मा के भविष्य का निर्धारण करने से पहले, मध्य प्रदेश की राजनीति और उसमें श्री विष्णु दत्त शर्मा की भूमिका पर विचार करना अनिवार्य है। इसमें कोई दो राय नहीं की मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में भारतीय जनता पार्टी के लोकप्रिय और प्रभावशाली नेता मौजूद हैं परंतु फिर भी भारतीय जनता पार्टी के सामने कई चुनौतियां हैं। डॉ मोहन यादव को जब मुख्यमंत्री के पद पर नियुक्त किया गया, तब लोकसभा चुनाव आने वाले थे। पार्टी के अनुशासन के कारण कोई डिस्टरबेंस नहीं हुआ परंतु अब अगले साढ़े तीन साल कोई चुनाव नहीं है। यह शांति का माहौल एक तरफ डॉक्टर मोहन यादव को तनाव मुक्त करता है तो दूसरी तरफ पार्टी के अंदर मुख्यमंत्री पद के दावेदारों को अपनी रणनीति बनाने के लिए भी स्वतंत्र करता है।
डॉ मोहन यादव की एक भी गलती, उनके प्रतिस्पर्धियों को उनसे आगे निकलने का मौका देगी। यह राजनीति है और इसमें अपने प्रतिस्पर्धी को टंगड़ी अड़ा कर गिरा देना, फाउल नहीं माना जाता। दूसरी तरफ चिंता इस बात की भी है की कहानी उत्तर प्रदेश की तरह मध्य प्रदेश में भी यादव-यादव ना हो जाए। इसलिए बहुत जरूरी है कि, डॉक्टर मोहन यादव पर नियंत्रण बना रहे। जैसे पानी के बड़े से जहाज को एक लंगर कंट्रोल करके रखता है। मध्य प्रदेश की राजनीति में श्री विष्णु दत्त शर्मा वही है। जो डॉक्टर मोहन यादव को कंट्रोल करके रख सकते हैं। उनका विकल्प बन सकते हैं। ओवरऑल मुख्यमंत्री पद के सभी दावेदारों को अनुशासन में बनाए रख सकते हैं।
कार्यकाल पूरा हो गया, शर्मा जी मध्य प्रदेश में क्या करेंगे
सवाल बिल्कुल सही है। श्री विष्णु दत्त शर्मा सांसद हैं। मध्य प्रदेश सरकार में शामिल नहीं हो सकते। प्रदेश अध्यक्ष के पद पर हैं, इसके ऊपर कोई पद नहीं होता। कार्यकाल पूरा हो गया है, अब क्या कर सकते हैं। इस प्रश्न का उत्तर राजनीति के विशेषज्ञ नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विद्वान विचारक और प्रचारक ही दे सकते हैं। मध्य प्रदेश के इतिहास में श्री सुंदरलाल पटवा, श्री कैलाश जोशी और श्री नरेंद्र सिंह तोमर को दूसरा कार्यकाल दिया गया था। इसलिए श्री विष्णु दत्त शर्मा को भी दूसरा कार्यकाल दिया जा सकता है। इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है। उपरोक्त तीनों के दोनों कार्यकाल के बीच में कुछ समय का अंतर था लेकिन संविधान में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है। वैसे भी, जो संगठन के लिए उचित हो वही संविधान होता है। ✒ उपदेश अवस्थी।
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