नेहा सिंह राठौर, मध्य प्रदेश की कोर्ट में आकर बताओ, MP में का बा, हाई कोर्ट में याचिका खारिज

Bhopal Samachar
सोशल मीडिया पर "UP में का बा" से पॉलिटिक्स की दुनिया में फेमस हो गई भोजपुरी लोकगायिका नेहा सिंह राठौड़ ने उत्तर प्रदेश के बाद बिहार और अन्य कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में "का बा" गाकर काफी सुर्खियां बटोरी परंतु मध्य प्रदेश में बात बिगड़ गई है। यहां उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। उन्होंने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में ऐसे चैलेंज किया लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया है। अब उन्हें पुलिस कार्रवाई का सामना करना होगा और मध्य प्रदेश की कोर्ट में आकर बताना होगा, अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर उन्होंने RSS को बदनाम क्यों किया। 

पृष्ठभूमि

मामला सीधी पेशाब कांड का है। स्वाभाविक रूप से यह एक चुनावी मुद्दा भी था। इस दौरान नेहा सिंह राठौड़ ने एक कार्टून शेयर किया। जिसमें एक व्यक्ति को अर्धनग्न अवस्था में फर्श पर बैठे तो दूसरे व्यक्ति पर पेशाब करते हुए दिखाया गया था। कार्टून में खाकी रंग का निक्कर भी जमीन पर पड़ा हुआ दिखाया गया था। उनके कार्टून से यह समझ गया कि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्यकर्ता पीड़ित मनुष्य के प्रति अपराध कर रहा है। अत्याचार कर रहा है। इसलिए नेहा सिंह के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करवा दिया गया। 

व्यंग्य के बहाने किसी को बदनाम नहीं कर सकते

नेहा सिंह ने अपने खिलाफ दर्ज हुए आपराधिक मामले को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में चैलेंज किया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि, अभिव्यक्ति की आजादी के तहत उन्होंने व्यंग्य किया है, इस प्रकार उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है और उनके खिलाफ दर्ज हुआ मामला खारिज कर दिया जाना चाहिए। हाई कोर्ट में जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने इस मामले पर सुनवाई की। उन्होंने नेहा सिंह के वकील की सभी दलील सुनने के बाद अपने फैसले में कहा कि, व्यंग्य करना आपका अधिकार है परंतु व्यंग्य के दौरान अपराधी की पहचान बदल देना, अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है बल्कि अपराध है। 

मामले की सुनवाई के दौरान स्पष्ट हुआ कि, जो वीडियो वायरल हुआ उसमें अपराध करने वाला व्यक्ति खाकी रंग की निकर नहीं पहने हुए था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बदनाम करने के लिए कार्टून में दुर्भावना पूर्वक खाकी हाफ पेंट जोड़ा गया है। इसलिए नेहा सिंह की याचिका को खारिज कर दिया गया। अब नेहा सिंह को कोर्ट में साबित करना होगा कि व्यंग्य के बहाने अपराधी की पहचान बदल देना, किस प्रकार से अभिव्यक्ति की आजादी के तहत उनके अधिकार में आता है। 

मध्य प्रदेश में ऐसी पॉलिटिक्स नहीं होती 

मध्य प्रदेश भारत के मध्य में स्थित है और पांच राज्यों के साथ अपनी बाउंड्री शेयर करता है, लेकिन राजनीति के मामले में ना तो उत्तर प्रदेश और बिहार की राजनीति को स्वीकार करता है और ना ही महाराष्ट्र के पॉलिटिकल पैटर्न को एक्सेप्ट करता है। मध्य प्रदेश की अपनी पॉलिटिकल परंपरा है। यहां अपराधी को अपराधी माना जाता है। उसे किसी जाति अथवा संगठन से जोड़कर नहीं देखा जाता। यहां की जनता अपने विधायक और सरकार के कामकाज के आधार पर वोट देता है। बाबूलाल गौर और आरिफ अकील को समान रूप से सम्मान देती है, क्योंकि दोनों जनता के लिए काम करते थे। 

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