कांग्रेस पार्टी के विधायक रहते हुए मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार में मंत्री पद की शपथ लेने वाले विजयपुर के विधायक श्री रामनिवास रावत ने वन मंत्री की कुर्सी पर बैठते ही, 6 दिन बाद रिटायर होने वाले वरिष्ठ भारतीय वन सेवा अधिकारी श्री दिलीप कुमार को चार्ज शीट थमा दी है। इसके कारण श्री रामनिवास रावत एक बार फिर सुर्खियों में आ गए।
दिलीप कुमार IFS - भ्रष्टाचार का आरोप, चार्जशीट
मध्य प्रदेश शासन, वन विभाग के संरक्षण शाखा में प्रमुख मुख्य वन संरक्षक, सीनियर आईएफएस दिलीप कुमार को चार्जशीट थमा दी गई है। आरोप है कि उन्होंने लघु वनोपज प्रसंस्करण एवं अनुसंधान केंद्र के तत्कालीन प्रबंध संचालक रहते हुए इन किताबों के प्रकाशन पर करीब 22.14 लाख रुपए का भुगतान संस्करण एवं अनुसंधान केंद्र से करवा दिया था, लेकिन किताबों का कॉपीराइट लघु वन उपज की बजाय स्वयं रख लिया। वर्ष 2023 में जब अतिरिक्त प्रबंध निदेशक के रूप में डॉक्टर दिलीप कुमार पदस्थ थे, तब उन्होंने लघु वन उपज के खर्चे पर किताबों का प्रकाशन कराया था, पर लघु वन उपज पर संस्करण केंद्र एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा भुगतान के लिए शासन से कोई अनुमति नहीं ली गई थी।
रामनिवास रावत - मौका परस्त और सौदेबाजी नेता?
मध्य प्रदेश सरकार में वन मंत्री बनाए गए श्री रामनिवास रावत को लेकर भारतीय जनता पार्टी असंतोष की स्थिति स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। दरअसल, उनकी पृष्ठभूमि और ताजा घटनाक्रम के कारण भी श्री राम निवास रावत चर्चा का केंद्र बने हुए। श्री रावत की राजनीति, स्वर्गीय श्री माधवराव सिंधिया की सरपरस्ती में शुरू हुई थी। श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी उन्हें काफी सम्मान दिया था। दोनों ने कभी बताया नहीं परंतु दोनों के बीच में काफी अनबन हो गई थी। जब सिंधिया कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए तो श्री रामनिवास रावत ने सिंधिया के खिलाफ खुला अभियान शुरू कर दिया था। खुद को कांग्रेस पार्टी का सच्चा सिपाही बताया था।
लोकसभा चुनाव के समय श्री राम निवास रावत अचानक भारतीय जनता पार्टी के मंच पर मुख्यमंत्री के साथ दिखाई दिए। फिर कई बार उनकी मुख्यमंत्री से मुलाकात हुई। इस बीच ना तो उन्होंने कांग्रेस पार्टी और विधायक पद से इस्तीफा दिया और ना ही कांग्रेस पार्टी ने उन्हें अनुशासनहीनता और चुनाव में विरोधी पार्टी के मंच पर खड़े होने के लिए निष्कासित किया।
जब श्री रामनिवास रावत को इन्हें भोपाल स्थित राज भवन में मंत्री पद की शपथ ली, उसे दिन भी वह सरकारी रिकॉर्ड में कांग्रेस पार्टी के विधायक थे। उनका कहना है कि उन्होंने इस्तीफा भेज दिया है परंतु विधानसभा सचिवालय द्वारा उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया था। आज तक स्पष्ट नहीं है कि श्री राम निवास रावत ने भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की है या नहीं।
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