भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 245 कहती है की अगर कोई व्यक्ति अपने खिलाफ ही कोई डिक्री या आदेश प्राप्त करने के लिए केस हारता है या हारने के लिए वाद की कार्यवाहियों में चुप चाप सहन करता है तो वह व्यक्ति अपराधी होगा एवं भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 246 कहती है कि अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को क्षति या नुकसान पहुचाने के लिए कोई झूठा दावा न्यायालय में प्रस्तुत करता है तो वह व्यक्ति अपराधी होगा। इसी प्रकार भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 247 कपटपूर्ण एवं मिथ्या डिक्री आदेश प्राप्त करने के लिए है, जानिए।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 247 की परिभाषा
जो कोई व्यक्ति किसी संपत्ति या किसी संपत्ति के हित को रखने वाला नहीं है और वह व्यक्ति न्यायालय में झूठा कपटपूर्ण दावा करके कोई डिक्री या आदेश प्राप्त कर लेता है अर्थात कपटपूर्ण तरीके से कोई डिक्री प्राप्त कर लेता है, तब वह व्यक्ति BNS की धारा 247 के अंतर्गत दोषी होगा।
नोट:- इस अपराध का संज्ञान भी मजिस्ट्रेट परिवाद दर्ज होने पर ही लेना।
Bharatiya Nyaya Sanhita,2023 Section 247 Provision of punishment
यह अपराध असंज्ञेय एवं यह जमानतीय अपराध होते हैं, अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध की एफआईआर भी दर्ज नहीं होती है न ही इस अपराध की पुलिस अधिकारी NCR लिख जा सकती है। इस अपराध के लिए न्यायालय में परिवाद लगाया जा सकता है एवं सुनवाई किसी भी प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। इस अपराध के लिए अपराधी व्यक्ति को दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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