अगर कोई व्यक्ति किसी के खिलाफ जानबूझकर मिथ्या मिथ्या या झूठा आरोप लगाता है, जैसे की किसी पति पर पत्नि मारपीट का आरोप लगा दे, या कोई व्यक्ति अपने पड़ोसी पर झूठा चोरी का इल्जाम लगा दे, या सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास करके आपराधिक मामला दर्ज करवा देना आदि जिससे निर्दोष व्यक्ति को कोई क्षति होने की संभावना हो, तब झूठा आरोप लगाने वाले व्यक्ति पर क्या कार्यवाही होगी जानिए।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 248 की परिभाषा
जो कोई व्यक्ति किसी निर्दोष व्यक्ति को फंसाने के उद्देश्य से झूठा आरोप लगाता है या पुलिस थाने में मिथ्या शिकायत करता है। कोई आपराधिक मामला दर्ज करवाता है एवं आरोप मिथ्या हो, तब ऐसा आरोप लगाने वाला व्यक्ति BNS की धारा 248 के अंतर्गत अपराधी घोषित किया जाएगा और न्यायालय द्वारा दंडित किया जाएगा।
Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 Section 248 Provision of punishment
इस धारा के अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं अर्थात् पुलिस अधिकारी इस अपराध में एफआईआर दर्ज नहीं कर सकते हैं न ही इस अपराध की NCR लिख सकते हैं। इस अपराध के लिए पीड़ित व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद दायर करना होता है, इनकी सुनवाई प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट एवं सेशन कोर्ट द्वारा की जा सकती है।
सजा:-
1. क्षति करने के आशय से व्यक्ति पर झूठा आरोप लगाने पर अधिकतम पांच वर्ष की कारावास या दो लाख रुपए जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
2. अगर आरोप मृत्यु दंड, आजीवन कारावास, या सात वर्ष से अधिक कारावास से दण्ड के अपराध का है तब अपराधी को अधिकतम दस वर्ष की कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।
विशेष नोट:- BNS की धारा 246 मिथ्या दावा को अपराध माना है एवं BNS की धारा 248 के मिथ्या आरोप को अपराध घोषित किया गया है। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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