BNS 257 - अधिकारी द्वारा न्यायिक कार्यवाही में विधि विरुद्ध रिपोर्ट देना, कितना गंभीर अपराध, जानिए

Bhopal Samachar
न्यायिक कार्यवाही के समय अगर कोई लोक सेवक द्वेषपूर्ण भावना से या कोई भ्रष्टाचार के कारण प्रतिकूल रिपोर्ट तैयार करता है या कोई ऐसा आदेश देता है जो विधि के प्रतिकूल है, जानते हुए, तब ऐसा लोकसेवक के विरुद्ध किस कानून के अंतर्गत मामला दर्ज होगा जानिए। 

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 257 की परिभाषा

कोई लोकसेवक किसी भी न्यायिक कार्यवाही की सुनवाई के दौरान कोई विधि के प्रतिकूल रिपोर्ट, आदेश निर्णय या अभिमत देगा जो विधि के अनुकूल है ये जानते हुए भ्रष्टाचार या द्वेषपूर्ण भावना रखते हुए। वह लोक सेवक BNS की धारा 257 के अंतर्गत दोषी होगा।

THE BHARATIYA NYAYA SANHITA, 2023 Section 257 Provision of punishment

इस धारा के अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं अर्थात पुलिस अधिकारी द्वारा इस अपराध में डायरेक्ट एफआईआर दर्ज नहीं कर सकती है। इस अपराध में मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद दायर किया जाता हैं। इस अपराध की सुनवाई प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है एवं यह अपराध किसी भी प्रकार से समझौता अथवा राजीनामा योग्य नहीं होगा। इस धारा के अपराध के लिए अधिकतम सात वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 

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