BNS 259 - आरोपी को जानबूझकर गिरफ्तार नहीं करने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ क्या कार्रवाई होगी जानिए

Bhopal Samachar
कोई व्यक्ति अपराध को करता है, और वह अपराध संज्ञेय प्रवर्ती का होता है तब पुलिस अधिकारी का कर्तव्य  है कि वह ऐसे आरोपी को तुरंत हिरासत में ले और गिरफ्तारी की कार्रवाई करके 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करे, लेकिन कुछ पुलिस ऑफिसर ऐसा नहीं करते है। तब कानून में ऐसे पुलिस अधिकारी के खिलाफ किस कानून के अंतर्गत मामला दर्ज होगा, जानिए:- 

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 259 की परिभाषा

कोई लोक सेवक जिससे किसी आरोपी व्यक्ति को या किसी अन्य व्यक्ति को पकड़ने, गिरफ्तार करने का दायित्व दिया गया है और वह लोक सेवक उस व्यक्ति को वैध रूप से पकड़ने या गिरफ्तार करने के लिए हकदार है, जानबूझकर गिरफ्तार नहीं करेगा या गिरफ्तारी का लोप करेगा तब वह लोक सेवक के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 259 के अंतर्गत मामला दर्ज होगा।

THE BHARATIYA NYAYA SANHITA, 2023,SECTION 259 PROVISION OF PUNISHMENT

इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं असंज्ञेय दोनों प्रकार के हो सकते हैं। पुलिस इन अपराध में एफआईआर भी दर्ज कर सकती है एवं लोक सेवक के विरुद्ध न्यायालय में परिवाद भी लगाया जा सकता है। यह जमानतीय होते हैं,  इनकी सुनवाई प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है, एवं यह अपराध समझौता योग्य नहीं होते है अर्थात इन अपराधों में राजीनामा नहीं होता है। 
इस धारा के अपराध की सजा को निम्न तीन भागों में बांटा गया है:-
1. मृत्यु दण्ड से दण्डित आरोपी व्यक्ति की गिरफ्तारी न करने पर अधिकतम सात वर्ष की कारावास या जुर्माना  से दण्डित होगा।
2. आजीवन कारावास से लेकर दस वर्ष की कारावास तक के दण्डित व्यक्ति की गिरफ्तारी न करने पर:- अधिकतम तीन वर्ष की कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
3. दस वर्ष से कम अपराध की सजा से दण्डित आरोपी की गिरफ्तारी न करने पर अधिकतम दो वर्ष की कारावास या जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।

  • रामपाल बनाम राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विनिश्चय किया कि एक पुलिस कांस्टेबल जो कि कोर्ट में आरोपी को ले जाने का कार्य कर रहा है और वह मजिस्ट्रेट के आदेश के बाद भी आरोपी को जेल अभिरक्षा में न भेज कर उसे छोड़ देता है या भाग जाने देता है तब वह कांस्टेबल अपने कानूनी कर्तव्य का उल्लंघन करते हुए भारतीय न्याय संहिता,1860 की धारा 221 (वर्तमान में भारतीय न्याय संहिता, 2022 की धारा 259) के अंतर्गत दोषी होगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 

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