BNS 263 - किसी आरोपी या अपराधी को अभिरक्षा या हिरासत से छुड़ाना, कितना गंभीर अपराध, जानिए

Bhopal Samachar
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 262 में बताया गया है कि अगर कोई आरोपी या दोषसिद्ध अपराधी स्वंय अभिरक्षा से भागता है या भागने का प्रयास करता है तब वह अपराधी होगा लेकिन अगर कोई अन्य व्यक्ति किसी आरोपी या अपराधी को भगाने की कोशिश करता है या भगा ले जाता है तब उसके खिलाफ क्या कार्यवाही हो सकती है, जानिए।

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 263 की परिभाषा

जो कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को जो विधिपूर्ण गिरफ्तार किया गया है या किसी अपराध में दोषसिद्ध किया गया हो, उसे अभिरक्षा से छुड़वाने की कोशिश करेगा या छुड़वा लेगा या भगा ले जाएगा, तब अवैध तरीके से भगाने वाला व्यक्ति BNS की धारा 263 के अंतर्गत दोषी होगा।

इस अपराध के लिए अवश्यक तत्व निम्न है:- 

1. जिस व्यक्ति को छुड़वाया गया हो या छुड़वाने का प्रयास किया गया हो उसकी गिरफ्तारी विधिपूर्ण की गई हो या वह हिरासत या बंदी हो। 
2. उस व्यक्ति पर किसी अपराध का आरोप लगा हो या न्यायालय द्वारा दण्डादेश दिया गया हो।
3. छुड़ाने वाले व्यक्ति का कोई आशय हो एवं छुड़ाने शब्द से तात्पर्य है बल पूर्वक हमला करके छुड़ाना।

THE BHARATIYA NYAYA SANHITA, 2023,SECTION 263 PROVISION OF PUNISHMENT

इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय एवं अजमानतीय दोनों प्रकार के होते हैं, अर्थात इस अपराध में पुलिस डायरेक्ट एफआईआर दर्ज कर सकती है एवं इस अपराध के लिए न्यायालय में परिवाद भी लगाया जा सकता है, एवं यह अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते हैं अर्थात इस अपराध ने राजीनामा नहीं किया जा सकता है। 

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 263 के अपराध को पाँच भागों में बांटा गया है:-
1. किसी व्यक्ति को न्यायिक अभिरक्षा से छुड़ाना दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है यह अपराध जमानतीय होगा एवं इसकी सुनवाई किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है।
2. ऐसे आरोपी व्यक्ति को छुड़ाना जिस पर आजीवन कारावास या 10 वर्ष के कारावास के अपराध का आरोप लगा हो तब तीन वर्ष की कारावास और जुर्माना लगाया जाएगा। यह अपराध अजमानतीय होगा एवं इसकी सुनवाई प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जाएगी। 

3. यदि मृत्यु दंड से दण्डित अपराध के आरोपी व्यक्ति को छुड़ाया गया है या छुड़ाने का प्रयास किया है तब सात वर्ष की कारावास और जुर्माना से दण्डित किया जाएगा यह अपराध अजमानतीय है एवं सुनवाई प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा होगी।

4. यदि किसी आरोपी को आजीवन कारावास का दण्ड दिया गया हो या दस वर्ष के कारावास तक का दण्ड दिया गया हो ऐसे अपराधी को छुड़ाने पर सात वर्ष की कारावास और जुर्माना से दण्डित किया जाएगा यह भी अजमानतीय अपराध है एवं सुनवाई प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जाएगी।

5. यही किसी आरोपी को मृत्युदंड का आदेश दे दिया गया है तब ऐसे अपराधी को हिरासत से छुड़ाने पर आजीवन कारावास या दस वर्ष की कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है। यह अपराध अजमानतीय होते है एवं सुनवाई सेशन कोर्ट द्वारा होगी ।
विशेष नोट:- इस अपराध का प्रयास करना भी इसी धारा में आएगा एवं इसी अपराध के दंड से दण्डित होगा। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 

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