बाबा रामदेव और CEDMAP क्या नई खिचड़ी पका रहे हैं, मध्य प्रदेश के किसानों के साथ क्या करेंगे

Bhopal Samachar
मध्य प्रदेश सरकार पर सरकारी नौकरी का प्रेशर कम करने और युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी छोड़, छोटे-मोटे दुकान धंधे की तरफ मोटिवेट करने के लिए गठित उद्यमिता विकास केंद्र मध्य प्रदेश आजकल अपना मूल काम छोड़कर बाकी सब कुछ कर रहा है। आज बाबा रामदेव के साथ MOU साइन किया गया। इसके माध्यम से बाबा रामदेव वाले पतंजलि कारोबार को सरकारी खर्चे पर मध्य प्रदेश में फैलाया जाएगा। 

मध्य प्रदेश में सरकारी खर्चे पर पतंजलि कंपनी का नेटवर्क बनाया जाएगा

बाबा रामदेव को जितना योग आता है उससे कहीं ज्यादा मार्केटिंग और उद्योग आता है। उन्होंने पतंजलि वाले बाबा बालकृष्ण और उद्यमिता विकास केंद्र मध्य प्रदेश के बीच MOU साइन करवाया है। इस पूरे इवेंट के केंद्र में मध्य प्रदेश के किसान हैं। भारत में अडानी और अंबानी को भी अपना नेटवर्क बनाने के लिए अपने पैसे खर्च करने पड़ते हैं परंतु इस MOU इस के माध्यम से बाबा बालकृष्ण की पतंजलि कंपनी का मध्य प्रदेश में सरकारी खर्चे पर नेटवर्क बनाया जाएगा। बड़ीबात यह है कि बाबा के फायदे वाले MOU को साइन करने के लिए सेडमैप की कार्यकारी संचालक श्रीमती अनुराधा सिंघई भोपाल से हरिद्वार गई थी।

कृषि विभाग का काम CEDMAP वाले क्यों कर रहे हैं

मध्य प्रदेश में किसानों को समझाने और सीखने का काम कृषि विभाग द्वारा किया जाता है लेकिन बाबा रामदेव का टारगेट पूरा करने के लिए उद्यमिता विकास केंद्र मध्य प्रदेश में टांग अड़ा दी है। अब CEDMAP वाले मध्य प्रदेश के किसानों को इकट्ठा करेंगे। फिर सरकारी खर्चे पर पतंजलि कंपनी के अधिकारियों को मध्य प्रदेश बुलाया जाएगा। किसानों से मिलवाया जाएगा। गौशाला के मामले में मध्य प्रदेश, भारत का तीसरा बड़ा राज्य है लेकिन अब पतंजलि वाले गौशाला मैनेजमेंट सिखाएंगे। इस सब के बीच में पतंजलि का सबसे मुख्य काम होगा जिसके लिए MOU साइन किया गया है। 

किसानों को मोटिवेट करके पतंजलि को सौंप देंगे

जब CEDMAP मध्य प्रदेश के किसानों को पूरी तरह से मोटिवेट कर चुके होंगे तब पतंजलि वाले प्रोडक्ट डेवलपमेंट सिखाएंगे। फिर वही प्रोडक्ट मध्य प्रदेश के किसानों से सस्ती दरों पर खरीदे जाएंगे और महंगे दामों पर बेचे जाएंगे क्योंकि MOU में बड़ी चतुराई के साथ इस पूरे पोर्शन को गायब कर दिया गया है। कहीं कोई नियामक नहीं होगा, जो किसी भी उत्पाद के लिए न्यूनतम विक्रय मूल्य का निर्धारण करेगा। जब किसान यह सवाल उठाएंगे तो उन्हें जवाब दिया जाएगा की कंपनी प्राइवेट है। उसे कंट्रोल नहीं किया जा सकता। 

कुल मिलाकर सरकारी खर्च पर कंपनी का कारोबार जमेगा और जब जाम जाएगा तो कंपनी MOU से मुक्त हो जाएगी। 

CEDMAP वाले दागी कंपनी को इतना सपोर्ट क्यों कर रहे हैं

यहां उल्लेख करना अनिवार्य है कि, रामदेव वाली पतंजलि कंपनी पिछले कुछ समय से कई बड़े विवादों में उलझी हुई है। सुप्रीम कोर्ट में हाथ जोड़कर माफी मांगनी पड़ी थी। कई उत्पादों की शुद्धता पर सवाल उठ चुके हैं। सरकारी लैब ने पतंजलि के कुछ उत्पादों की क्वालिटी को कमजोर बताया है। पतंजलि के लिए काम करने वाले, प्रोडक्ट बनाने वाले लोगों की संख्या कम होती जा रही है। कंपनी अपना प्रॉफिट इंडियन आर्मी को दान नहीं करती और ना ही प्रधानमंत्री कोष में जमा करवाती है। फिर क्या कारण है कि CEDMAP, सरकारी खर्चे पर बाबा रामदेव का कारोबार जमाने के लिए इतना उतावला हुआ जा रहा है। 

MOU के कवर पेज पर दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट लिखा है प्रेस नोट में पतंजलि


चतुराई देखिए, MOU के कवर पेज पर MEMORANDUM OF UNDERSTANDING BETWEEN DIVYA YOG MANDIR TRUST AND Centre for Entrepreneurship Development Madhya Pradesh (CEDMAP) Under Department of MSARE, Govt of Madhya Pradesh लिखा है जबकि प्रेस नोट में पतंजलि समूह बताया गया है। यानी जनता को पता चलेगा कि पतंजलि और CEDMAP के बीच में MOU हुआ है लेकिन यदि आपने RTI लगाई तो ऐसा कोई डॉक्यूमेंट मिलेगा ही नहीं। यदि किसानों के साथ कोई धोखा हो गया और कहीं कोई आंदोलन विरोध खड़ा हो गया, तो सरकार सदन में बड़े आराम से कह सकेगी की पतंजलि कंपनी के साथ CEDMAP का कोई MOU हुआ ही नहीं था। 

MOU में क्या लिखा है, पढ़िए और मुद्दे की बात समझ लीजिए 



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