यह तो आप सभी ने अनुभव किया होगा कि बारिश का मौसम आते ही लकड़ी के दरवाजे और खिड़कियां अकड़ दिखाने लगते हैं। कोई चूं-चूं आवाज करता है तो कोई चर-चर करने लगता है। उन्हें खोलने और बंद करने के लिए काफी ताकत का उपयोग करना पड़ता है, जबकि गर्मी के मौसम में चुपचाप हर बात मानते हैं, कोई आवाज नहीं करते। आइए पता लगाते हैं कि ऐसा क्या कारण है जो गर्मी के मौसम में अनुशासित विद्यार्थी की तरह हर बात मानने वाले लकड़ी के खिड़की-दरवाजे बरसात का मौसम आते ही उद्दंड बच्चे क्यों बन जाते हैं।
बारिश के मौसम में लकड़ी के दरवाजे चर-चर क्यों करते हैं
चूँकि लकड़ी के दरवाजे या खिड़की या फर्नीचर पेड़ -पौधों से बने हैं जो कि प्रारंभिक अवस्था में जीवित होते हैं परंतु बाद में मृत अवस्था में आ जाते हैं परंतु उनमें बहुत अधिक मात्रा में छेद या pores पाए जाते हैं जो वातावरण की नमी को अवशोषित कर लेते हैं और फूल जाते हैं। इस कारण उनके साइज में अंतर आ जाता है और बारिश का मौसम खत्म होते ही कुछ समय बाद वह वापस अपने पुराने साइज में आ जाते हैं।
यही कारण है कि बड़े बुजुर्ग बारिश का मौसम आने से पहले ही लकड़ी के खिड़की दरवाजों पर वार्निश या फिर ऑयल पेंट कर दिया करते थे। ऐसा करने से लकड़ी में मौजूद छोटे-छोटे छेद भर जाते थे और फिर बारिश का पानी लकड़ी पर अपना कोई असर नहीं दिखा पाता था।
फाइबर या लोहे के दरवाजों में बरसात की नमी क्यों नहीं बैठती
इसके पीछे भी जीव विज्ञान की एक प्रक्रिया है जिसे सामान्य रूप से विसरण (diffusion) कह सकते हैं परंतु यह विसरण से थोड़ा सा अलग होता है। अतः इसे अंतः चूषण या (imbibition) कहा जाता है। ✒ लेखक श्रीमती शैली शर्मा मध्यप्रदेश के विदिशा में साइंस की टीचर हैं। (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
विनम्र निवेदन🙏कृपया हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें। सबसे तेज अपडेट प्राप्त करने के लिए टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें एवं हमारे व्हाट्सएप कम्युनिटी ज्वॉइन करें। इन सबकी डायरेक्ट लिंक नीचे स्क्रॉल करने पर मिल जाएंगी। सामान्य ज्ञान और महत्वपूर्ण जानकारी के लिए कृपया स्क्रॉल करके सबसे नीचे POPULAR Category में knowledge पर क्लिक करें।