Madhya Pradesh Board of Secondary Education bhopal से संबद्ध सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे कक्षा 9 के विद्यार्थियों की एक बड़ी प्रॉब्लम सॉल्व हो गई है। कक्षा 9 में विद्यार्थी को चुनाव करना पड़ता था कि उसे गणित में पढ़ाई करनी है या नहीं। एक बार जो फाइनल हुआ कक्षा 12 तक वही रहता था परंतु अब सामान्य गणित से हाई स्कूल परीक्षा पास करने वाले विद्यार्थी हायर सेकेंडरी में गणित को अपना मुख्य विषय बना सकते हैं।
MP BSE NEWS - स्टैंडर्ड मैथ्स वाले स्टूडेंट सब्जेक्ट चेंज कर सकते हैं क्या?
माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड के सचिव डॉक्टर केडी त्रिपाठी कहते हैं कि 9वीं और 10वीं में अब गणित की दो कैटेगिरी रहेंगी, 1.बेसिक और 2. स्टैंडर्ड मैथमेटिक्स। ऐसे भी बच्चे हैं, जिसको आगे चलकर मैथेमिटक्स नहीं पढ़ना है। अन्य सब्जेक्ट जैसे बायोलॉजी, कॉर्मस या ह्यूमेनिटीज आदि पढ़ना है। ऐसे में उनको सुविधा होगी कि वह बेसिक मैथमेटिक्स सिलेक्टर कर अपने मनचाहे विषय में पढ़ाई कर सकते हैं। इस साल यह पैटर्न हमने 9वीं कक्षा में शुरू कर दिया है। वहीं, 10वीं में आने वाले सत्र से यह नियम लागू होगा। इसके अलावा 9वीं क्लास के लिए ऑप्शन रहेगा, अगले वर्ष के लिए दसवीं में क्या पढ़ना चाहते हैं।
सीबीएसई का पैटर्न अब एमपी बोर्ड में भी
केडी त्रिपाठी कहते हैं कि इससे पहले यह सुविधा सीबीएसई में थी। अब यह एमपी बोर्ड में भी शुरू की गई है। आम तौर पर देखा गया है कि गणित में सबसे अधिक बच्चे फेल होते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए बोर्ड ने यह निर्णय लिया है, जिससे बच्चों को पढ़ाई करने के लिए एक तरफ आसानी होगी। दूसरी तरफ वह बच्चे जिनको स्विच करना है। यह उनके लिए खासकर के बेहतर ऑप्शन होगा।
MP BOARD - क्या बेसिक से स्टैंडर्ड मैथ में स्विच कर सकते हैं
अगर कोई छात्र दसवीं में पढ़े बेसिक और आगे स्टैंडर्ड पढ़ना चाहे तो इसके बारे में सचिव केडी त्रिपाठी कहते हैं कि आम तौर पर यह माना जाता है कि बेसिक मैथ वही पढ़ेगा, जो कि आगे मैथ सब्जेक्ट नहीं सिलेक्ट करेगा। मगर कभी बच्चे का मन बदल जाए या उसे आगे स्टैंडर्ड मैथ पढ़नी है तो ऐसे बच्चे दसवीं में स्टैंडर्ड मैथ का सप्लीमेंट्री एग्जाम देकर आगे के लिए स्टैंडर्ड मैथ सिलेक्ट कर सकता है। इससे वह 11वीं और 12वीं में स्टैंडर्ड के लिए एलिजेबल हो जाएगा।
MPBSE - बेसिक और स्टैंडर्ड गणित में क्या अंतर है
केडी त्रिपाठी ने बताया कि यह बिल्कुल सही है कि इससे रिजल्ट में इम्प्रूवमेंट होगा। इसका सिलेबस समान होगा, मगर पेपर का कठिनाई का स्तर अलग अलग होगा। स्टैंडर्ड में आम तौर पर जैसा पेपर हमेशा आता है वही रहेगा, बेसिक में इसका कठिनाई का स्तर काफी कम होगा, जिससे यह उन छात्रों के लिए काफी उपयोगी होगा, जो मैथ में कहीं न कहीं कमजोर हैं।
गणित के टीचर मोहम्मद आरिफ का बयान
स्कूल छात्रों की पढाई को लेकर एक्सपर्ट मोहम्मद आरिफ ने बताया कि मैं लंबे समय से बच्चों को मैथमेटिक्स पढ़ा रहा हूं। इस निर्णय को लेकर मैं यही कहूंगा कि यह एक प्रकार का पॉजिटिव चेंंज है। इससे पहले अन्य बोर्ड में तो यह चलता ही है। मगर, एमपी बोर्ड में इसके शुरू होने से इसका सबसे अधिक फायदा उन छात्रों को होगा, जो बच्चे सिर्फ मैथ में कमजोर हैं या मैथ की वजह से उनके रिजल्ट पर हमेशा प्रभाव पढ़ता है।
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