कर्मचारियों को उच्च वेतन मान के आदेश का पालन नहीं करने के मामले में मध्य प्रदेश शासन की मुख्य सचिव वीरा राणा के खिलाफ हाई कोर्ट के आदेश की अवमानना का मामला निर्धारित करने के लिए हाई कोर्ट द्वारा 29 जुलाई की तारीख निर्धारित कर दी गई है। इससे पहले मुख्य सचिव वीरा राणा वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से हाई कोर्ट की कार्रवाई में उपस्थित हुई थी परंतु उनके जवाब से हाईकोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 2017 में उच्च वेतनमान के आदेश दिए थे
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति अमरनाथ केसरवानी की युगलपीठ द्वारा मामले की सुनवाई की जा रही है। उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट कर्मचारी किशन पिल्लई सहित 109 कर्मचारियों ने याचिका दायर कर उच्च वेतनमान और भत्ते देने के लिए 2016 में याचिका दायर की। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि इस मामले में हाई कोर्ट ने 2017 में राज्य शासन को आदेश जारी किए थे। पालन नहीं होने पर 2018 में अवमानना याचिका प्रस्तुत की गई।
महाधिवक्ता ने कंपलायंस रिपोर्ट पेश की थी
पूर्व में मुख्य न्यायाधीश ने हाई कोर्ट कर्मचारियों के लिए उच्च वेतनमान की अनुशंसा की थी। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने कंपलायंस रिपोर्ट पेश कर बताया कि यदि उक्त अनुशंसा को मान लिया जाएगा तो सचिवालय व अन्य विभागों में कार्यरत कर्मियों से भेदभाव होगा और वे भी उच्च वेतनमान की मांग करेंगे। इसलिए केबिनेट ने अनुशंसा को अस्वीकर कर दिया है।
हाईकोर्ट ने दलील अस्वीकार कर दी थी
वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने कोर्ट काे बताया कि सरकार ने पहले भी यही ग्राउंड लिया था, जिसे अस्वीकार किया जा चुका है। तत्कालीन न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी ने इसी मामले में पांच सितंबर 2019 को सरकार की इस दलील को नकारते हुए मुख्य न्यायाधीश की अनुशंसा पर विचार करने के आदेश दिए थे।
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