MP स्कूल शिक्षा में शिक्षकों के प्रमोशन का विवाद तूल पकड़ गया, मंत्री के साथ मीटिंग - MP NEWS

Bhopal Samachar
मध्य प्रदेश शासन, स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय के अंतर्गत संचालित सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों को उच्च पद का प्रभार मामले में विवाद की स्थिति बन गई है और यह विवाद बढ़ता ही चला जा रहा है। शासकीय शिक्षक संगठन मध्य प्रदेश द्वारा स्कूल शिक्षा मंत्री एवं आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल को आज ईमेल के माध्यम से चेतावनी भेजी गई है। शुक्रवार को स्कूल शिक्षा मंत्री के साथ मीटिंग करेंगे। 

विवाद क्यों उपस्थित हुआ - टंटे की जड़

स्कूल शिक्षा विभाग शिक्षकों को उच्च पद का प्रभार देने के लिए सभी जिला मुख्यालय पर काउंसलिंग करा रहा है। काउंसलिंग में ऐसे शिक्षकों को शामिल नहीं किया जा रहा है, जिन्होंने संकुल प्राचार्य से अनुमति लेकर योग्यता बढ़ाने की (पोस्ट ग्रेजुएट एवं BEd इत्यादि) परीक्षा दी है। जबकि पिछले साल इस आधार पर शिक्षकों को उच्च पद का प्रभार दिया गया है। इसी बात को लेकर शिक्षक अधिकारियों से नाराज हैं।

मध्य प्रदेश शिक्षा संहिता के नियम-29 का बिंदु क्रमांक 4-1

संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष उपेंद्र कौशल ने बताया कि मध्य प्रदेश शिक्षा संहिता के नियम-29 के बिंदु क्रमांक 4 (1) में यह उल्लेख है कि पूर्व प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं के शिक्षकों को योग्यता वृद्धि के लिए परीक्षा देने की अनुमति जिला शिक्षा अधिकारी देंगे। जबकि उच्चतर माध्यमिक शालाओं के शिक्षकों को यह स्वीकृति शाला के प्राचार्य देंगे। इतने स्पष्ट निर्देश होने के बाद भी शिक्षकों को काउंसलिंग में आने से रोका जा रहा है। इसलिए इसे मान्य किया जाए।

गलती शिक्षक की नहीं अनुमति देने वाले अधिकारी की है

कौशल ने बताया कि जब से उच्च पद का प्रभार देने की प्रक्रिया पुनः प्रारंभ हुई है, शिक्षकों द्वारा अपनी शैक्षणिक योग्यता बढ़ाने के लिए परीक्षा में बैठने की अनुमति को लेकर असहज स्थिति बनी हुई है। इसके लिए प्रदेश में केवल जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी अनुमति को ही वैधानिक माना जा रहा है। संगठन का कहना है कि यदि अनुमति के इन प्रकरणों में नियम का पालन नहीं भी हुआ है, तो गलती किसी शिक्षक की नहीं बल्कि संबंधित संकुल प्राचार्य, विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी और अन्य अधिकारियों की है, जिन्होंने अपने अधिकारों से ऊपर जाकर शिक्षक को अनुमति दी। क्योंकि संबंधित अधिकारी को तो शिक्षक के आवेदन को जिला शिक्षा अधिकारी की ओर अनुशंसा सहित अग्रेषित करना था। 

उन्होंने कहा कि वैसे भी यह उच्च पद के प्रभार की प्रक्रिया है, पदोन्नति नहीं। इसमें संबंधित शिक्षक को किसी भी प्रकार का न तो आर्थिक लाभ प्राप्त हो रहा है और न ही कोई स्थायी लाभ। इसलिए संबंधित शिक्षकों को उच्च पद के प्रभार की काउंसलिंग में शामिल करें और अनाधिकृत रूप से अनुमति देने वाले अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही की जाए। 

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