मध्य प्रदेश के सरकारी कॉलेज में परमानेंट प्रोफेसर के अभाव में कक्षाओं का संचालन करने वाले अतिथि विद्वान राजधानी भोपाल में पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिले। उन्हें बताया कि विधानसभा चुनाव के पहले उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में अतिथि विद्वानों के लिए जो घोषणा की थी, उसके आदेश आज दिनांक जारी नहीं हुए हैं।
शिवराज सिंह चौहान धर्म संकट में
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान धर्म संकट में है। उनकी पॉलिटिकल स्टोरी संघर्ष से शुरू होती है। इतिहास गवाह है उन्होंने जनता के लिए लंबे समय तक सरकार से संघर्ष किया। अपने भाषणों में वह जनता को भगवान कहते हैं। अपनी उम्र से 20 साल छोटे युवाओं को अपने भांजे-भांजिया कहते हैं। चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने कई घोषणा की थी। आज वही लोग शिवराज सिंह चौहान का समर्थन और संरक्षण मांगने के लिए हर रोज उनके भोपाल स्थित "मामा का घर" पर आते हैं, परंतु अब बात बदल गई है। वह जनता का वोट हासिल करने के लिए बड़ा संघर्ष करते हैं परंतु जनता के हित में संघर्ष करने का जोखिम नहीं उठाते, क्योंकि यदि उन्होंने जनता के हित में संघर्ष करने का जोखिम उठाया तो उन्हें सत्ता से दूर होना पड़ेगा, सरकारी लाभ और सुख सुविधाओं का त्याग करना पड़ेगा।
क्या मध्यप्रदेश के अतिथि विद्वान दूसरी बार ठगी का शिकार हो गए
मध्य प्रदेश में अतिथि विद्वान, सरकारी कर्मचारियों की एक ऐसी जाती का नाम है जिनकी डिग्री यह प्रमाणित करती है कि वह बुद्धिमान है और विद्वान है परंतु पिछले 5 सालों में, 2019 से लेकर 2024 तक वह लगातार बड़े नेताओं के हाथों ठगी का शिकार हुए हैं। सिर्फ भोपाल समाचार डॉट कॉम एकमात्र ऐसा न्यूज़ पोर्टल है जो किसी भी प्रकार के फल की कामना किए बिना, पिछले 10 साल से अतिथि विद्वानों के संघर्ष में नियमित रूप से साथ दे रहा है।
2019 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ऐलान किया था
2019 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ऐलान किया था कि यदि सरकार ने घोषणा पत्र के अनुसार अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण नहीं किया तो वह स्वयं अतिथि विद्वानों के साथ सड़क पर उतर आएंगे। उनके लिए संघर्ष करेंगे। श्री सिंधिया ने यहां तक कहा था कि यही उनके परिवार की परंपरा है। इसके तत्काल बात श्री सिंधिया ने मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन करवाया। उनकी सभी सदस्य स्वीकार की गई परंतु शर्तों की सूची में अतिथि विद्वान का मुद्दा ही नहीं था।
2023 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री ने अतिथि विद्वानों की सरकारी पंचायत बुलाकर जो ऐलान किया था, लोकसभा चुनाव के बाद आज दिनांक तक उसका आदेश जारी नहीं हुआ जबकि अतिथि विद्वानों की सरकारी पंचायत में मुख्यमंत्री द्वारा कहे गए एक-एक शब्द सरकारी रिकॉर्ड में मौजूद हैं।
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