मध्य प्रदेश में आज भारतीय राजनीति का एक बड़ा घटनाक्रम हुआ है। कांग्रेस पार्टी के विधायक श्री रामनिवास रावत ने भारतीय जनता पार्टी की डॉ मोहन सरकार में पहले राज्य मंत्री और फिर कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की है। यहां दोनों खबरें बड़ी और महत्वपूर्ण है।
1. कांग्रेस पार्टी के विधायक ने भाजपा सरकार में मंत्री पद की शपथ ली।
2. सिर्फ एक घंटे में राज्य मंत्री से कैबिनेट मंत्री बन गए।
रामनिवास रावत कौन है
रामनिवास रावत मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं। समाचार लिखे जाने तक कांग्रेस पार्टी के नेता हैं। भाजपा का गमछा पहन लिया है और मंत्री पद की शपथ भी ले ली है परंतु कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा नहीं दिया है। 21 जनवरी 1960 को जन्म हुआ था, उम्र 64 वर्ष हो गई है। युवा कांग्रेस से अपने पोलिटिकल कैरियर की शुरुआत की थी। दिग्विजय सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। कट्टर सिंधिया समर्थक नेता हुआ करते थे। पहले स्वर्गीय माधवराव सिंधिया और फिर उनके सुपुत्र श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ काम किया लेकिन जब सिंधिया भाजपा में शामिल हुए तो रामनिवास रावत ने उनके साथ पार्टी नहीं बदली।
कहा कि वह कांग्रेस पार्टी के सिपाही हैं और मृत्यु तक पार्टी नहीं बदलेंगे। जब कमलनाथ प्रदेश अध्यक्ष थे तब रामनिवास रावत, जीतू पटवारी के साथ कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष थे। अब उनके जूनियर जीतू पटवारी कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। सुना है दिग्विजय सिंह ने रावत को हाशिए पर डाल दिया था। लोकसभा चुनाव में रामनिवास रावत का बड़ा अपमान किया गया। उनके पास सिर्फ दो ही विकल्प थे। या तो पार्टी बदलने या फिर राजनीति छोड़ दें।
रामनिवास रावत की शपथ ग्रहण में गड़बड़ी
कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिए बिना विजयपुर के विधायक रामनिवास रावत ने आज भारतीय जनता पार्टी की सरकार में मंत्री पद की शपथ ग्रहण कर ली परंतु शपथ ग्रहण समारोह में भी गड़बड़ी हुई। राजभवन के भव्य मंच पर आयोजित कार्यक्रम में रामनिवास रावत ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली और फिर थोड़ी देर बाद राज्यपाल के एक सामान्य से मीटिंग रूम में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली।
नरोत्तम मिश्रा किंग मेकर, बेचारी कांग्रेस और बेहोश रावत
इस राजनीतिक घटनाक्रम ने 3 बातों को प्रमाणित कर दिया है। डॉ नरोत्तम मिश्रा चुनाव भले ही हार गए हैं परंतु पार्टी में पावर बढ़ गई है। कई विधायक इस्तीफा दिए बिना विरोधी पार्टी में शामिल दिखाई देते रहते हैं परंतु ऐसा बहुत कम होता है कि विपक्षी पार्टी का विधायक इस्तीफा दिए बिना सरकार में मंत्री बन जाए। यह कमाल नरोत्तम ही कर सकते थे।
दूसरी बात कांग्रेस पार्टी देखो कितनी बेचारी है। उनकी आंखों के सामने उनके विधायक ने भारतीय जनता पार्टी के लिए काम किया। भाजपा के सार्वजनिक मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई और अब कांग्रेस पार्टी का विधायक रहते हुए सरकार में शामिल भी हो गए। कांग्रेस पार्टी ठीक प्रकार से विधवा विलाप भी नहीं कर पा रही है।
तीसरी बड़ी बात यह है कि रामनिवास रावत, किसी जमाने में बड़े प्रभावशाली नेता रहे होंगे परंतु फिलहाल तो बेहोश से नजर आए। कोई पहली बार का मंत्री गलती करे तो समझ में आता है। रामनिवास रावत जैसे सीनियर नेता अपनी शपथ के दौरान गलती करें, पदनाम ही गलत बोल दें। ऐसे बेहोश नेता को सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाना खतरनाक हो सकता है।
खबर का असर - UPDATE 1827hrs
भोपाल समाचार में यह खबर प्रकाशित होने के बाद राज्यसभा सांसद श्री विवेक तंखा ने भी श्री रामनिवास रावत पर तंज कसा। इसके जवाब में श्री रामनिवास रावत ने X पर लिखा कि, उन्होंने 5 जुलाई को ही विधानसभा की सदस्यता से अपना त्यागपत्र विधानसभा सचिवालय को भेज दिया था। वैसे सवाल तो आप भी बनता है कि, ऐसे गुपचुप इस्तीफा क्यों दिया। सबको बताने में क्या परेशानी थी। सार्वजनिक जीवन में चोरी छुपे इस्तीफा कोई देता है क्या। और भेज भी दिया था तो क्या फर्क पड़ता है। अब तक इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है और शपथ ग्रहण की तारीख एवं समय तक श्री रामनिवास रावत विधानसभा के रिकॉर्ड में कांग्रेस पार्टी के विधायक थे।
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अजब-ग़ज़ब एमपी
— Shubham Gupta (@shubhjournalist) July 8, 2024
कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए @rawat_ramniwas ने आज दो बार मंत्री पद की शपथ ली
पहली-
मैं राज्य मंत्री के रूप में शपथ लेता हूँ..
अरे मगर बनना तो कैबिनेट था 😃
दूसरी-
मैं राज्य के मंत्री के रूप में शपथ लेता हूँ
फ़िलहाल कांग्रेस विधायक के नाते ही शपथ ली है pic.twitter.com/UDq2b9YVS9