कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व सांसद और छिंदवाड़ा विधायक श्री कमलनाथ, मध्य प्रदेश की पॉलिटिक्स में फिर से अपनी सक्रिय भूमिका निभाने के लिए राजधानी भोपाल आए, परंतु इस बार पार्टी में उन्हें कतई महत्व नहीं दिया। आज उन्होंने रक्षाबंधन कार्यक्रम का आयोजन किया था। उन्हें राखी बांधने के लिए सिर्फ 6 बहनें आईं। वैसे तो राखी बांधने के लिए एक ही बहन काफी होती है लेकिन मध्य प्रदेश में नेताओं का रक्षाबंधन, एक पॉलिटिकल इवेंट और शक्ति प्रदर्शन जैसा हो गया है। खैर जो भी हो, लेकिन बड़ी खबर है कि, 40 साल के राजनीति के इतिहास में कमलनाथ ने पहली बार राखी बंधवाई, फोटो खिंचवाया और जारी किया।
सूर्य ग्रहण या सूर्यास्त
यही भोपाल था और यही कमलनाथ। सन 2019 से लेकर 2023 तक का समय कोई नहीं भूल सकता। जब कमलनाथ के पास लोगों से मिलने के लिए समय नहीं था। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष थे परंतु विधानसभा के सत्र में पूरी उपस्थिति के लिए समय नहीं था। सुबह से शाम तक "जय-जय कमलनाथ" के नारे गूंज करते थे। सन 2023, विधानसभा चुनाव के पहले तो हालत यह हो गई थी कि, भोपाल की सड़कों पर नेताओं की रैलियां दिखाई देती थी। सब कमलनाथ से मिलना चाहते थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान भी कमलनाथ से मिलने के लिए अपनी हवाई यात्रा को आधा घंटे आगे बढ़ा दिया करते थे।
आज स्थिति यह है कि, 16 अगस्त को उनसे मिलने के लिए टोटल 25 लोग भी नहीं आए। 17 अगस्त को सिर्फ एक संस्था के 10-12 लोगों ने मुलाकात की। 18 अगस्त को रक्षाबंधन का कार्यक्रम रखा लेकिन सिर्फ 6 बहनें आईं। इस बार पत्रकारों की भी भीड़ नहीं थी। शाम को वापस जाते समय कार में बैठे-बैठे पत्रकारों के पांच सवालों के जवाब दिए और चले गए। जाते-जाते इतना जरूर कहा कि, आता रहूंगा।
कांग्रेस पार्टी में कमलनाथ की ऐसी किरकिरी आज से पहले कभी नहीं हुई थी। अब देखना यह है कि कांग्रेस पार्टी में कमलनाथ पर ग्रहण लग गया है या फिर सूर्यास्त हो चुका है।
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