मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में चौंकाने वाले मामले सामने आ रहे हैं। वायरल फीवर के मरीजों में 30% तक चेस्ट इनफेक्शन मिल रहा है। 10-10 दिन तक बुखार खत्म नहीं हो रहा है। सांस लेने में परेशानी हो रही है। सीटी स्कैन करने पर कुछ मरीजों के फेफड़ों में बिल्कुल वैसा ही संक्रमण दिखाई दे रहा है जैसा कोरोना के समय दिखाई देता था।
कहीं यह कोरोना फैमिली का नया वायरस तो नहीं
क्षेत्रीय श्वसन रोग संस्थान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पराग शर्मा ने बताया कि, सांस में परेशानी की शिकायत लेकर पहुंच रहे 40% मरीजों में जांच में वायरल निमोनिया निकल रहा है। वायरल निमोनिया होने पर मरीजों के लंग्स का सीटी स्कैन करवाया गया। सीटी इमेज की तुलना कोरोना के समय संक्रमित मरीज के सीटी स्कैन से की। दोनों रिपोर्ट से स्पष्ट हो रहा है कि फेफड़े 40 फीसदी तक सफेद पड़ चुके हैं। चार दिन में ही संक्रमण निमोनिया के रूप में फैल गया और लंग्स जाम होने से आक्सीजन पहुंचने का रास्ता बंद हो गया है। यह नया स्ट्रेन भी हो सकता है, जो अभी तक ट्रेस नहीं हुआ हो। एक व्यक्ति को परेशानी होने पर पूरा परिवार चपेट में आ रहा है।
मध्य प्रदेश के कई जिलों में समान स्थिति
डॉक्टर का कहना कि सिर्फ भोपाल ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के कई जिलों में, बिल्कुल ऐसी स्थिति बनी हुई है। प्रारंभिक तौर पर पाया कि जिन इलाकों में बारिश, तेज धूप, उमस और फिर अचानक मौसम ठंडा हो जाता है वहां पर रहने वाले लोग वायरल फीवर एवं कॉमन कोल्ड का शिकार हो जाते हैं। उनके फेफड़ों में संक्रमण बढ़ जाता है और इसके कारण उनका ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है।
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