BHOPAL NEWS - एमपी नगर के कोचिंग संचालकों के साथ एसडीएम की समझौता बैठक

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के एमपी नगर में स्थित कोचिंग क्लास संचालक, कई प्रकार के नियमों का उल्लंघन करते हैं। इसमें सिक्योरिटी स्टैंडर्ड सबसे प्रमुख है। देश में जब भी कोई घटना होती है, भोपाल में प्रशासन एक्शन शुरू कर देता है और कुछ दिनों बाद सब पहले जैसा हो जाता है। दिल्ली वाली घटना के बाद, हमेशा की तरह भोपाल में एक्शन शुरू हुआ और आज कलेक्टर की टीम एवं कोचिंग संचालकों के बीच समझौता बैठक हो गई। 

भोपाल में कोचिंग संचालकों को एक बार फिर चेतावनी देकर छोड़ दिया

कलेक्टर कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, कलेक्टर श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह के निर्देशानुसार शनिवार को एम.पी. नगर के कोचिंग इंस्टिट्यूट के संचालको की बैठक एसडीएम एम.पी. नगर के कार्यालय में आयोजित की गई। बैठक में कोचिंग संचालकों को बेसमेंट में केवल पार्किंग के लिए उपयोग करने के निर्देश दिए गए। साथ ही अन्य व्यावसायिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया गया। संचालकों को अपने कोचिंग इंस्टिट्यूट का फायर ऑडिट, इलेक्ट्रिकल सेफ्टी ऑडिट और लिफ्ट ऑडिट आवश्यक रूप से कराने के निर्देश दिए गए। 
(मुद्दे की बात:- यह चेतावनी 6 महीने पहले भी दी गई थी, उसके 6 महीने पहले भी दी गई थी और पिछले 3 साल से लगातार दी जा रही है। चेतावनी पर चेतावनी, हर बार चेतावनी दी जाती है। कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती।) 

कोचिंग के अप्रशिक्षित कर्मचारियों को आपदा नियंत्रण प्रभारी बनने के निर्देश

कोचिंग इंस्टिट्यूट के संचालकों को निर्देशित किया गया कि वे प्रत्येक फ्लोर पर एक अधिकारी या कर्मचारी को चिन्हित कर नामित करेंगे, जो उस फ्लोर पर होने वाली किसी भी आपात स्थिति को नियंत्रित करेगा। उनका नाम और फोन नंबर ऐसे स्थान पर लिखा जाएगा जहां पर सभी को आसानी से दिखाई देता हो। ताकि इमरजेंसी की स्थिति में स्टूडेंट कॉल कर सके।
(मुद्दे की बात:- प्रशासन ने अप्रशिक्षित कर्मचारियों को आपदा नियंत्रण प्रभारी बनने के निर्देश दे दिए हैं। यह निश्चित नहीं किया गया है कि यदि उसके रहते भी कोई हादसा हो जाता है, तो प्रभारी कर्मचारियों के खिलाफ कौन सी कानून कार्रवाई होगी। कोचिंग क्लास में हमेशा हर फ्लोर पर यदि स्टूडेंट है तो कोई ना कोई कर्मचारी होता ही है। इसके बाद भी हादसे हो जाते हैं। प्रशासन का यह निर्देश उपयोगी प्रतीत नहीं होता।)

सिक्योरिटी स्टैंडर्ड डिस्प्ले करने की जिम्मेदारी भी कोचिंग वालों पर डाल दी

इसके अतिरिक्त अब कोचिंग इंस्टिट्यूट के संचालकों को अपने इंस्टिट्यूट के भवन पर यह डिस्प्ले करना अनिवार्य होगा कि वे सुरक्षा के कौन-कौन से मानकों को पूरा करते हैं। इस डिस्प्ले के माध्यम से अभिभावकों को भी यह जानकारी प्राप्त होगी कि उनके बच्चे किस प्रकार के सुरक्षा मानकों के तहत पढ़ाई कर रहे हैं और वे कितने सुरक्षित हैं। 
(मुद्दे की बात - यह काम प्रशासन को करना चाहिए था और कोचिंग क्लास के दरवाजे पर सिक्योरिटी स्टैंडर्ड डिस्प्ले किया जाना चाहिए था। प्रशासन ने यह काम कोचिंग संचालक के ऊपर डाल दिया। वह भवन के किसी भी कोने में, झूठ-मुट का कोई स्टीकर लगा देगा, तो कोई क्या कर लेगा। एसडीएम के सिग्नेचर होंगे, तो वैल्यू होगी।)

एसडीएम आशुतोष शर्मा ने का 1 महीने बाद फिर आऊंगा

एसडीएम एमपी नगर श्री आशुतोष शर्मा ने कोचिंग संचालकों को मीटिंग के एजेंडे के अनुसार समस्त कार्यवाही एक माह में पूर्ण करने का निर्देश दिया। उन्होंने यह भी बताया कि एक माह के बाद कोचिंग संस्थानों की पुनः जांच होगी और यदि अनियमितताएं पाई गईं तो कड़ी कार्रवाइ की जाएगी। 
(मुद्दे की बात- 1 महीने बाद पता चल जाएगा कि एसडीएम आशुतोष शर्मा ने पिछले 7 दिनों में जो कार्रवाई की है, वह विद्यार्थियों के हित में थी या फिर कोचिंग संचालकों पर दबाव बनाने और उन्हें इस मीटिंग तक खींच कर लाने के लिए थी।) 

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