भोपाल समाचार डॉट कॉम एक बार फिर मुद्दे को मुख्य बिंदु पर बनाए रखना में कामयाब हुआ और परिणाम स्वरूप भोपाल स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर श्री पीके जैन अर्थात श्री प्रदीप कुमार जैन की सेवाएं समाप्त कर दी गई।
लोकायुक्त का छापा पड़ा था, भोपाल समाचार ने क्या किया
श्री प्रदीप कुमार जैन के घर एवं ऑफिस में दिनांक 9 अगस्त को लोकायुक्त पुलिस ने छापामार कार्रवाई की थी। दिनांक 10 अगस्त को उनके खिलाफ The Prevention of Corruption Act के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में श्री प्रदीप कुमार जैन को बड़ी ही चतुराई के साथ "भोपाल नगर निगम का रिटायर्ड अधिकारी" बताया गया था। जबकि उनकी वर्तमान पहचान भोपाल स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अधीक्षण यंत्री की थी। सिर्फ भोपाल समाचार डॉट कॉम ने सबसे पहले इस मुद्दे को उठाया (NEWS-1 NEWS-2 पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं) और सवाल किया कि, नगर निगम का दागी अधिकारी, भोपाल स्मार्ट सिटी में सुप्रिटेंडेंट इंजीनियर क्यों बनाया गया। यदि सभी समाचार रिटायर्ड अधिकारी हेडलाइंस के साथ जाते तो अधीक्षण यंत्री की सेवा समाप्त करने की जरूरत ही नहीं पड़ती। यानी इंजीनियर साहब के खिलाफ मामला तो दर्ज हो जाता परंतु उनकी सेवा समाप्त नहीं होती।
आय से 300 गुना अधिक अचल संपत्ति का खुलासा
भोपाल स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अधीक्षण यंत्री पीके जैन के घर लोकायुक्त की टीम ने 8 घंटे तक लगातार सर्चिंग की। टीम को करोड़ों की संपत्ति के कागजात मिले। छापे में 10 से अधिक प्लॉट और जमीन के कागज मिले। मकान में तलाशी के दौरान 5 करोड़ से ज्यादा की अचल संपत्ति का खुलासा हुआ। 85 लाख से ज्यादा जेवरात के बिल, लाखों के निवेश के दस्तावेज और विदेश यात्रा के प्रमाण मिले। श्री प्रदीप कुमार जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर दिया गया है। बैंक लॉकर खोलना बाकी है। अब विधिवत इन्वेस्टिगेशन शुरू होगी।
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