BNS 275 - अपमिश्रण खाद्य एवं पेय पदार्थ का विक्रय करना कब अपराध होता है, जानिए

Bhopal Samachar
केंद्रीय सरकार ने खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम 1954 पारित किया जो भारत मे दिनांक 01 जून 1955 से यह अधिनियम प्रभावी हुआ। इस व्यापक कानून द्वारा स्वास्थ्य के हानिकारक खाद्य एवं पेय पदार्थ के क्रय विक्रय पर पूर्ण पाबंदी लगाई गई है।

लेकिन अगर कोई होटल वाला शाम के समोसा सुबह जानते हुए की वह खराब हो गए हैं तेल में तल के बेचता है तब उसके खिलाफ PFA act, 1954 (खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954) के अंतर्गत कार्यवाही होगी एवं कोई व्यक्ति खाद्य पदार्थ में कोई हानिकारक पदार्थ मिला देते हैं तो BNS की धारा 274 के अंतर्गत कार्यवाही होगी, और अगर कोई व्यक्ति विक्रय करने के उद्देश्य खाद्य पदार्थ में मिलावट कर देता है तब इस अपराध के लिए एक अन्य धारा के अंतर्गत मामला दर्ज होगा जानिए।

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 275 की परिभाषा

जो कोई व्यक्ति किसी खाद्य या पेय पदार्थों में अपमिश्रण करके बेचेगा या बेचने की कोशिश करेगा जिसे के सेवन से किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य में बुरा प्रभाव पड़ने की संभावना हो तब खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थ में अपमिश्रण करने वाले व्यक्ति के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 275 के अंतर्गत मामला दर्ज होगा।

लेकिन गेहूं में धूल, कंकड, लकड़ी, कोयले आदि के टुकड़े मिलाना अपराध नहीं है।

विशेष महत्वपूर्ण नोट:- राज्य संशोधन अधिनियम, 1975 क्रमशः 1973 के अनुसार अब उत्तर प्रदेश एवं पश्चिम बंगाल में स्थानीय विधि में संशोधन के बाद यह अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय है सजा में अधिकतम आजीवन कारावास और जुर्माने से दण्डनीय होगा।

लेकिन मध्यप्रदेश राज्य संशोधन 22 जुलाई 2014 को इस अपराध के संशोधन के लिए प्रस्ताव पारित है लेकिन अभी इसे लागू नहीं किया गया है।

THE BHARATIYA NYAYA SANHITA, 2023,SECTION 275 PROVISION OF PUNISHMENT

इस धारा के अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध की डारेक्ट एफआईआर दर्ज नहीं होगी लेकिन पुलिस NCR लिख सकती है एवं इस अपराध के लिए न्यायालय में परिवाद भी लगाया जा सकता है। इस अपराध की सुनवाई किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है एवं यह समझोते योग्य नहीं है अर्थात्‌ राजीनामा नहीं किया जा सकता है।

इस धारा के अपराध के लिए अधिकतम छ: माह की कारावास या जुर्माना 5000/- रुपये या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 

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