मध्य प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में सेल्फ फाइनेंस कोर्स के अध्यापन कार्य के लिए नियुक्त किए गए शिक्षकों के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा हैं। उन्हें रिक्त पदों के विरूद्ध रखे गए अतिथि विद्वानों की तरह न तो वेतन दिया जा रहा हैं न ही अवकाशों का लाभ, जबकि जनभागीदारी शिक्षकों को महाविद्यालय में वे सभी कार्य करने होते है जो एक स्थाई प्रोफेसर और पद के विरुद्ध कार्य कर रहें अतिथि विद्वानों को करना होता हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी पालन नहीं कर रहे
महाविद्यालय में सभी प्रोफेसर/शिक्षकों का आने और जाने का समय भी समान हैं फिर भी जनभागीदारी शिक्षकों का मानदेय, अवकाश और अन्य सुविधाएं स्थाई प्रोफेसर और पद के विरुद्ध कार्य कर रहें अतिथि विद्वानों के समान नहीं हैं। 21 अप्रैल 2022 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गए फाइनल आर्डर में स्पष्ट रूप से कहा गया हैं कि जनभागीदारी शिक्षकों को 1000 रुपए प्रति घंटे के हिसाब से मानदेय दिया जाए, परंतु आज दिनांक तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पूर्व की प्रदेश सरकार और उच्च शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश के अधिकारियों द्वारा पालन नहीं किया गया।
प्रदेश के जनभागीदारी शिक्षकों का वर्तमान सरकार के माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी से विनम्र निवेदन हैं कि वो इस गंभीर समस्या को संज्ञान में लेकर इन सभी शिक्षकों के साथ हो रहें भेदभाव को समाप्त कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू कर जनभागीदारी शिक्षकों की समस्या का निदान करें। ✒ यजुवेंद्र धाकड़।
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