श्याम चौरसिया - शिक्षा विभाग के बेतुके, अव्यवहारिक, फैसले और फरमान फुस्स साबित हो 70 हजार अथिति शिक्षको में व्यवस्था, विभाग के खिलाफ आक्रोश, तनाव पैदा कर रहे है। फरमान पर विश्वास करके हर अथिति शिक्षक 31 जुलाई से ही GFMS PORTAL की निर्धारित पूर्ति करने के लिए क्योस्क सेन्टरों के फेरे दर फेरे लगा रहे है लेकिन पोर्टल काम ही नही कर रहा है। विभाग 10-11 दिनों में भी पोर्टल अपग्रेड करने में नाकाम रहा। विभाग ने जॉइनिंग के लिए समयबद्ध, चरणबद्ध कार्यक्रम भी घोषित कर दिया था। मगर पोर्टल की दगाबाजी से तमाम कवायद पर पलीता लग गया।
अतिथि शिक्षक इस साल 210 दिनों के मौसमी मजदूर
तनाव से लबरेज,त्रस्त अथिति शिक्षक संकुल प्राचार्य, बीईओ, डीडीओ के द्वार पर दस्तक दे रहे है। मगर वे भी बेबस लगते है। 70 हजार अथितियों को सरकार ने अप्रेल में बेदखल कर दिया था। 135 दिनों से वे बेरोजगार बैठे अपनी योग्यता, प्रतिभा, नियति को कोस रहे है। यदि सरकार राखी के पूर्व सेवा में ले भी लेती है तो उनकी वेलिडिटी अप्रेल में फिर खत्म कर दी जाएगी। यानी लगभग 210 दिनों के मौसमी मजदूर। हर तरह की एकेडमिक, शेक्षणिक योग्यता,प्रतिभा रखने वाले अथिति शिक्षक आशा, उषा, आंगनवाड़ी से भी गए बीते साबित कर दिए गए है। कम से कम इन्हें पूरे साल निश्चित मासिक मानदेय की पात्रता तो है। क्योस्क सेंटर संचालकों ने भी त्रस्त होकर बोर्ड चस्पा कर दिए कि जब तक पोर्टल अपग्रेड न हो तब तक अथिति संपर्क करके न खुद का न हमारा कीमती समय बर्बाद करे।
45 दिन से बिना शिक्षक के कक्षाएं संचालित हो रही है
पोर्टल पर जहाँ विषय के पद सालो से रिक्त पड़े है। वहाँ अब पद प्रदर्शित नही हो रहे है। जबकि संकुल जून अंत मे ही हर अथिति की उपस्थिति, रिजल्ट,वेतन आदि का सम्पूर्ण डाटा भेज चुका है। फिर भी विभाग पॉर्टल को 75 दिनों में अपग्रेड करने में नाकाम रहा। इधर शालाओं में विद्यार्थी है। क्लास लग रही है। मगर विद्यार्थियों को पढ़ाने वाले शिक्षक नही है। शालाएं खुले 45 दिन हो चुके है। यानी 45 दिनों से विद्यार्थियों की पढ़ाई का बंटाढार हो रहा है।
सरकार/विभाग की बदइंतजामी से त्रस्त होकर हजारों विद्यार्थी सरकारी शालाओं को तज निजी शालाओं में प्रवेश लेने के लिए मजबूर हो गए। पोर्टल की जटिल,अव्यवहारिक तकनीकी समस्या से निजात पाने का सीधा, सरल विकल्प सरकार / विभाग को पूर्व की तरह सेवारत अथितियों की उपस्थिति संकुल प्राचार्य को देने के आदेश तुरन्त प्रभाव से दे देना ही है। कम से कम विद्यार्थियों की पढ़ाई का जनाजा निकलने से तो बच सकेगा। अथितियों को अनिश्चितता, तनाव, भटकने से मुक्ति मिल सकेगी।
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