रक्षाबंधन भारतीय परंपरा की सबसे बड़े त्यौहार में से एक है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर रेशम के धागे का रक्षा सूत्र बांधती है। ऐसे ही राखी कहकर पुकारा जाता है। भारत के प्रत्येक धार्मिक आयोजन में रक्षा सूत्र बांधने का विधान है परंतु सिर्फ रक्षाबंधन के अवसर पर रेशम के धागे का विधान है। आईए जानते हैं कि, रक्षाबंधन के अवसर पर रेशम के धागे की राखी क्यों बांधी जाती है। इसके पीछे कोई लॉजिक भी है या परंपरा बन गई है।
रेशम का धागा कैसे बनता है, सबसे पहले यह जानना जरूरी है
विज्ञान की महिला शिक्षक श्रीमती शैली शर्मा बताती है कि, रेशम या सिल्क एक प्राकृतिक रेशा (natural fibre) है जो कि Bombax mori नाम के कीट (worm) के कोकून या कोया (cocoon) से प्राप्त होता है। यह रेशम का कीड़ा शहतूत (mulburry) के पेड़ की पत्तियों को खाकर बड़ा होता है। औद्योगिक स्तर पर रेशम कीड़ों को पालना, रेशम का उत्पादन करना ~सेरीकल्चर (sericulture) कहलाता है।
राखी में रेशम के धागे का क्या महत्व है
यह बताने की जरूरत नहीं की रक्षाबंधन जीवन के सबसे संवेदनशील रिश्ते को मजबूत करने का त्यौहार है। रेशम या सिल्क में एक बेहद खास बात होती है जो और किसी भी धागे में नहीं होती, वह यह कि रेशम का धागा जितना पुराना होता है उतना ही चमकदार होता जाता है और उसकी कीमत उतनी ही बढ़ती जाती है। बहन अपने भाई की कलाई पर रेशम का धागा बांधते हुए यही कामना करती है कि उनका रिश्ता जितना पुराना हो उतना ही चमकदार होता जाए और उसकी कीमत हमेशा बढ़ती रहे। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article.
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