हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश की इंदौर बेंच ने मध्य प्रदेश शासन के लिए काम करने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी मनीष रस्तोगी, मोहम्मद सुलेमान एवं विवेक पोरवाल के खिलाफ वारंट जारी कर दिया है। इसके अलावा हेल्थ डायरेक्टर दिनेश श्रीवास्तव और डॉ आर.सी पनिका के खिलाफ भी वारंट जारी किया गया है। यह वारंट एक संविदा कर्मचारी की याचिका पर जारी किए गए हैं।
समान काम समान वेतन का मामला
दरअसल, संविदा कर्मचारियों के लिए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने एक पॉलिसी बनाई थी। जिसमें 100 पर्सेंट वेतनमान देने का फैसला हुआ था। ज्यादातर कर्मचारियों को मध्य प्रदेश संविदा कर्मचारी नीति के तहत समान वेतन दिया जाने लगा लेकिन कुछ विभागों में अधिकारियों ने समान वेतन के आदेश जारी नहीं किए। इसी लिस्ट में एक नाम है "पार्थन पिल्लई"। स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मचारी हैं और इंदौर में पदस्थित थे। उन्हें भी समान वेतन नहीं मिला। पार्थन पिल्लई ने इसे अपने साथ अन्याय माना और हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत कर दी। नवंबर 2023 में हाईकोर्ट ने शासन को आदेश दिया कि वह, पार्थन पिल्लई को अन्य कर्मचारियों के समान वेतन प्रदान करें।
अधिकारियों ने हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया
4 महीने के भीतर हाईकोर्ट के आदेश का पालन किया जाना था परंतु अप्रैल 2024 तक आदेश का पालन नहीं किया गया। इस बात से व्यथित होकर पार्थन पिल्लई ने हाई कोर्ट में " हाई कोर्ट के आदेश की अवमानना" की याचिका प्रस्तुत कर दी। इसी याचिका के आधार पर लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के प्रमुख सचिव मोहम्मद सुलेमान, सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी, हेल्थ कमिश्नर विवेक पोरवाल, हेल्थ डायरेक्टर दिनेश श्रीवास्तव और क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं, इंदौर डॉ आर.सी पनिका के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है।
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