मध्य प्रदेश में शासकीय कर्मचारियों के लिए ट्रांसफर पॉलिसी का ड्राफ्ट बनकर तैयार हो चुका है। कैबिनेट में प्रस्तुत किए जाने की संभावित तारीख भी सामने आ गई है। इसके अलावा स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षकों की स्थानांतरण नीति को लेकर भी एक नया समाचार मिला है।
Transfer Policy for Madhya Pradesh Government Employees
मध्य प्रदेश शासन के कर्मचारियों के लिए स्थानांतरण नीति दिनांक 20 अगस्त 2024 को आयोजित कैबिनेट की बैठक में प्रस्तुत की जाएगी। सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि किसी दिन कैबिनेट द्वारा मंजूर किए जाने के बाद कर्मचारियों के ट्रांसफर करने के लिए 15 दिन का समय मिलेगा। ट्रांसफर पॉलिसी के अनुसार जिले के अंदर के ट्रांसफर प्रभारी मंत्री और जिले के बाहर के ट्रांसफर डिपार्टमेंट के मिनिस्टर द्वारा किए जाएंगे।
पुराने जिले में किसी को ट्रांसफर नहीं दिया जाएगा
मध्य प्रदेश सरकार की ट्रांसफर पॉलिसी 2024 के अनुसार प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों के ट्रांसफर मुख्यमंत्री की सहमति से किए जाएंगे। राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के ट्रांसफर भी मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद होंगे। जबकि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के ट्रांसफर मंत्रियों की मंजूरी से किए जाएंगे। जो अधिकारी अथवा कर्मचारी किसी जिले में पूर्व में काम कर चुका है, उसे वापस उसी जिले में ट्रांसफर नहीं दिया जाएगा। ट्रांसफर पॉलिसी में इसके अलावा भी कई प्रावधान हैं।
मध्य प्रदेश पुलिस डिपार्टमेंट की ट्रांसफर पॉलिसी
मध्य प्रदेश पुलिस विभाग में राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों के ट्रांसफर पुलिस स्थापना बोर्ड की गाइडलाइन के अनुसार होंगे। गृहमंत्री द्वारा अप्रूवल दिया जाएगा और मुख्यमंत्री की सहमति भी अनिवार्य है। जिले के अंदर मध्य प्रदेश पुलिस के कर्मचारियों के ट्रांसफर पुलिस स्थापना बोर्ड द्वारा किए जाएंगे परंतु इसमें पुलिस अधीक्षक एवं प्रभारी मंत्री का अप्रूवल अनिवार्य है।
मध्य प्रदेश राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की ट्रांसफर पॉलिसी
मध्य प्रदेश राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के ट्रांसफर सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा किए जाएंगे, लेकिन मुख्यमंत्री का अप्रूवल अनिवार्य होगा। कलेक्टर द्वारा जिले के अंदर ट्रांसफर किए जाएंगे। इसके लिए प्रभारी मंत्री से विचार विमर्श किया जाएगा। जिन अधिकारियों के 3 साल पूरे हो गए हैं उनका ट्रांसफर शासन द्वारा किया जाएगा। 3 साल पूरा करने वाले तृतीय श्रेणी के कार्यपालिक कर्मचारियों के ट्रांसफर भी राज्य स्तर से किए जाएंगे।
अन्य महत्वपूर्ण बातें
- खुद के खर्च पर और म्यूचुअल ट्रांसफर के लिए ऑनलाइन या कार्यालय प्रमुख को आवेदन देना होगा।
- खुद के खर्च पर खाली पदों पर किए गए ट्रांसफर या प्रशासनिक कारणों से किए गए ट्रांसफर के आदेश अलग-अलग जारी किए जाएंगे।
- खुद के खर्च पर ट्रांसफर का आवेदन देने वाले ऐसे लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी, जिन्होंने पिछले वित्तीय वर्ष में तय किए गए टारगेट को पूरा किया हो।
रिटायर होने वाले, बीमार और पति-पत्नी
जो अधिकारी या कर्मचारी एक साल या उससे कम समय में रिटायर हो रहे हैं, उनका ट्रांसफर नहीं किया जाएगा।
पति-पत्नी एक साथ ट्रांसफर का आवेदन देते हैं तो उनका ट्रांसफर किया जा सकेगा। लेकिन नियुक्ति की जगह प्रशासनिक जरूरत के आधार पर तय होगी।
ऐसे कर्मचारी जिन्हें गंभीर बीमारी जैसे कैंसर, किडनी खराब होने के कारण डायलिसिस या हार्ट सर्जरी की वजह से रेगुलर जांच कराना जरूरी है, उनका जहां ट्रांसफर होता है वहां ये सुविधा नहीं है तो मेडिकल बोर्ड की अनुशंसा पर उनकी चाही गई जगह पर ट्रांसफर हो सकेगा।
जो कर्मचारी 40% या इससे अधिक दिव्यांग कैटेगरी में हैं, उनके ट्रांसफर नहीं होंगे। वे चाहें तो खुद से ट्रांसफर ले सकेंगे।
पहले अनुसूचित क्षेत्रों के खाली पद भरे जाएंगे
नई नीति में अनुसूचित क्षेत्रों के खाली पदों को भरे जाने को प्राथमिकता दी गई है। यदि सरकारी प्रक्रिया से किसी का ट्रांसफर हो रहा होगा, तो इस आधार पर उसका तबादला रोका भी जा सकता है। निर्माण और नियामक से जुड़े विभागों के ऐसे कर्मचारी, जिन्होंने पिछले साल के टारगेट पूरे नहीं किए हैं, उनका प्रशासनिक आधार पर तबादला होगा। यह व्यवस्था बाकी विभागों में लागू नहीं होगी। कोर्ट के फैसले, गंभीर शिकायतें, खाली पदों को भरने, प्रमोशन और प्रतिनियुक्ति से वापसी के मामलों में संबंधित विभाग फैसला करेंगे।
जहां लिंगानुपात कम, वहां महिलाओं की पोस्टिंग
तबादला नीति में इस बार प्रमुख रूप से यह बिंदु शामिल किया गया है कि जिन जिलों में लिंगानुपात कम हो, वहां महिला अधिकारियों की पोस्टिंग को प्राथमिकता दी जाएगी।
किस विभाग में टोटल कितने ट्रांसफर हो सकते हैं
- खाद्य एवं नापतौल विभाग में नापतौल निरीक्षक, खाद्य विभाग में खाद्य निरीक्षक, उप पंजीयकों के कैडर में 40 से ज्यादा ट्रांसफर नहीं होंगे।
- तहसीलदार, नायब तहसीलदार, सहायक संचालक, उप संचालक और एसएलआर कैडर में तबादलों की संख्या 100 से 200 से बीच ही होगी।
- आदिम जाति एवं अनुसूचित जनजाति विभाग में 6 हजार से 10 हजार अधिकारी-कर्मचारियों के ट्रांसफर होंगे।
- लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में डॉक्टर, कंपाउंडर, नर्सिंग एवं अन्य स्टाफ के ट्रांसफर 4 हजार से 5 हजार के बीच हो सकेंगे।
- राजस्व विभाग में पटवारियों समेत अन्य कर्मचारियों के 3 हजार से 4 हजार के बीच ट्रांसफर किए जा सकेंगे।
- वन विभाग में 4 हजार से 5 हजार के बीच कर्मचारियों के ट्रांसफर हो सकेंगे। इनमें रेंजर से लेकर निचले स्तर तक के अफसर होंगे।
- उच्च शिक्षा विभाग में प्रोफेसर, सहायक प्राध्यापकों समेत अन्य कर्मचारियों और अधिकारियों के ट्रांसफर की संख्या 3 से 4 हजार होगी।
- बाकी विभागों में कुल 10 हजार ट्रांसफर हो सकते हैं।
मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग की ट्रांसफर पॉलिसी
स्कूल शिक्षा विभाग की ट्रांसफर पॉलिसी को ना तो कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाएगा और रही मंजूर किया जाएगा क्योंकि डिपार्टमेंट में उच्च पद का व्यवहार की प्रक्रिया चल रही है। जो कम से कम 15 सितंबर तक चलेगी। इसके बाद खाली पदों की जानकारी मांगी जाएगी। इस प्रक्रिया में अक्टूबर का महीना बीत जाएगा। फरवरी में बोर्ड परीक्षाएं हैं। इसके साथ ही लोकल परीक्षाएं भी शुरू हो जाएंगी। कुल मिलाकर लोग शिक्षण संचालनालय, मध्य प्रदेश, भोपाल के अधिकारियों की लापरवाही के कारण इस साल शिक्षकों के ट्रांसफर नहीं होंगे।
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