भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा राज्यसभा चुनाव का ऐलान कर दिया गया है। श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के लोकसभा सदस्य निर्वाचित हो जाने के साथ ही राज्यसभा में उनकी सीट रिक्त हो गई है। अब उनके उत्तराधिकारी की तलाश है। आईए देखते हैं राज्यसभा में उनकी सीट पर बैठने के लिए कितने दावेदार हैं:-
डॉ नरोत्तम मिश्रा - दतिया से विधानसभा का चुनाव भले ही हार गए हैं परंतु भारतीय जनता पार्टी में काफी मजबूत पकड़ है। एक हाथ से पार्टी और दूसरे हाथ से सरकार के साथ अपने संबंध मजबूत बने हुए हैं। यदि चुनाव जीत जाते तो मुख्यमंत्री पद के दावेदार होते। मध्य प्रदेश के एकमात्र सबसे दमदार और सबसे ताकतवर नेता। उनके इनकार करने पर ही इस सीट के लिए किसी और के नाम का विचार होगा।
डॉ केपी सिंह यादव (पूर्व सांसद) - टिकट के लालच में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए एक ऐसे नेता जो अब तक मुगालते में है। उन्हें लगता है कि पिछली बार गुना लोकसभा सीट से उन्होंने श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को हरा दिया था। इस बार श्री अमित शाह के कहने पर उन्होंने कंप्रोमाइज किया है। इसलिए राज्यसभा में श्री सिंधिया की सीट पर उनकी स्वाभाविक दावेदारी है। वैसे भी, एक मोहन काफी है, हर सीट पर यादव को नहीं बिठा सकते।
श्री जयभान सिंह पवैया - पिछले 10 सालों में शायद ही कोई ऐसा चुनाव और ऐसी कोई पदस्थापना हो, जिसके दावेदारों की लिस्ट में श्री जयवंत सिंह पवैया का नाम ना हो। श्री पवैया भारतीय जनता पार्टी में प्रत्येक पद के लिए एक ऐसे दावेदार हैं जो कोरम पूरा करने के काम आते हैं। बाकी, संगठन को उनके लिए जो करना है वह किया जा रहा है और पर्याप्त है।
श्री अरविंद भदौरिया (पूर्व मंत्री) - नाम में कोई खास दम नहीं है। लाड़ली लक्ष्मी के आशीर्वाद के बावजूद विधानसभा चुनाव हार गए, लेकिन श्री शिवराज सिंह चौहान की टीम के खिलाड़ी हैं और श्री शिवराज सिंह चौहान, भारतीय जनता पार्टी में जो चाहे कर सकते हैं। श्री आलोक शर्मा से अच्छा क्या उदाहरण हो सकता है।
श्री लोकेंद्र पाराशर - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी में केंद्रीय नेतृत्व तक काफी मजबूत पकड़ है। इंडिपेंडेंस नेता है। किसी मामा या भैया के सहारे की जरूरत नहीं है। शासन के कई प्रमुख पदों पर श्री लोकेंद्र पाराशर का आशीर्वाद प्राप्त संघ कार्यकर्ता पदस्थ हैं, लेकिन थोड़े घमंडी भी है। इसके कारण थोड़ा 19-20 भी हो सकता है।
श्रीमंत महाराज साहब क्या चाहते हैं, उनकी भी तो चलेगी
यहां एक बड़ा प्रश्न जिसका उत्तर अभी तक किसी ने नहीं खोजा। श्रीमंत महाराज साहब अर्थात केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की अपनी पावर और पोजीशन है। उनके साथ कांग्रेस से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए, उनके वफादार नेताओं के लिए भी कुछ कुर्सियों की जरूरत है। यदि राज्यसभा की सीट पर मध्य प्रदेश का कोई नेता भेजा जाता है तो फिर श्रीमंत महाराज साहब की भी चलेगी। किसी बड़े बंगले वाले नेता की सील को महत्व मिले या ना मिले लेकिन, जय विलास पैलेस का सिक्का आज भी पावर में है। ✒ उपदेश अवस्थी।
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