मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरी एवं शिक्षा में 27% ओबीसी आरक्षण के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार के नाम नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। अब मध्य प्रदेश में 27% ओबीसी आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट के डिसीजन लागू होंगे।
87-13 फार्मूले पर सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश के अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि, सुप्रीम कोर्ट की कोर्ट क्रमांक तीन में आज सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण के प्रकरणों को हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने का आदेश पारित किया। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरी में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लागू किए गए 87-13% के फार्मूले को प्रथम दृष्टया अवैधानिक मानते हुए चुनौती देने वाली दो याचिकाओं में मध्य प्रदेश सरकार से जबाब तलब किया। अब मध्य प्रदेश में ओबीसी के 27% आरक्षण की वैधानिकता को अब सुप्रीम कोर्ट डिसाइड करेगी।
27% ओबीसी आरक्षण 1992 से पेंडिंग
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के अंतरिम आदेशों को दृष्टिगत रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दो माह पूर्व हाईकोर्ट को ओबीसी आरक्षण के मामलो को सुनवाई किए जाने पर रोक लगा दी थी। अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर ने दावा किया है कि, सुप्रीम कोर्ट के मार्गदर्शी सिद्धांतो तथा निर्णयो को नजरअंदाज करके हाईकोर्ट ने कानून के विरुद्ध इसके ऑर्डर पारित कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट की 9 जजो की संवैधानिक पीठ इंद्रा शांहानी वनाम भारत संघ के मामले में ओबीसी को 27% आरक्षण दिए जाने का आदेश किया गया था, लेकिन मध्य प्रदेश शासन ने ओबीसी को 1992 से 27% आरक्षण नहीं दिया है। इसके कारण लाखों सरकारी भर्ती प्रभावित हुई है।
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