विश्व के सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर हादसा मामले में नगर निगम के दो अधिकारी, मध्य प्रदेश पुलिस के 2 और होमगार्ड के एक प्लाटून कमांडर को सस्पेंड कर दिया गया है। आरोप है कि इन सभी अधिकारियों ने महाकाल मंदिर के आसपास का अतिक्रमण नहीं हटाया।
कलेक्टर कमिश्नर की दलील - अतिक्रमण नहीं होता तो दोनों दुकानदार नहीं मरते
निगम आयुक्त श्री आशीष पाठक द्वारा आदेश जारी कर प्र.उपयंत्री नगर निगम श्री गोपाल बोयत एवं विशेष गैंग प्रभारी श्री मनीष बाली को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। वहीं प्लाटून कमांडर श्री दिलीप बामनिया भी निलंबित किया गया है। कलेक्टर श्री नीरज कुमार सिंह के निर्देश पर नगर निगम आयुक्त श्री आशीष पाठक द्वारा जारी किए गए आदेश में लिखा है कि, प्रभारी उपयंत्री एवं विशेष गैंग प्रभारी नगर निगम को सम्पूर्ण महाकाल क्षेत्र से अस्थाई अतिक्रमण हटाने के दायित्व सौंपे गए थे। कार्य के प्रति लापरवाही से शुक्रवार को महाकाल मंदिर के समीप दीवार के पास अस्थाई अतिक्रमण कर व्यवसाय करने वाले व्यवसायियों पर दीवार गिरने से दो व्यक्तियों की उक्त दुर्घटना में मृत्यु हुई और अन्य व्यक्ति भी घायल हुए हैं। जिसके कारण लापरवाही प्रतिपादित होने से प्र.उपयंत्री नगर निगम श्री बोयत एवं विशेष गैंग प्रभारी नगर निगम श्री बाली को आपको तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है।
किसको क्यों सस्पेंड किया
1. अजय वर्मा, महाकाल थाना प्रभारी
2. एसआई भरत सिंह निगवाल, बीट प्रभारी
👆 इन दोनों पुलिस अधिकारियों को अवैध दुकानों पर एक्शन लेना था, ऐसा नहीं किया।
3. गोपाल बोयत, उपयंत्री, नगर निगम
4. मनीष बाली, विशेष गैंग प्रभारी, नगर निगम
👆 दोनों नगर निगम अधिकारियों पर महाकाल मंदिर क्षेत्र से अस्थाई अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी थी।
5. दिलीप बामनिया, प्लाटून कमांडर होमगार्ड एवं सुरक्षा अधिकारी, महाकाल मंदिर
👆 इन पर सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए अतिक्रमण करने वालों पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी थी।
इंजीनियर और ठेकेदार से किसी ने कुछ नहीं कहा
दरअसल दीवार का निर्माण ही गलत हुआ था। पानी की निकासी के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी। इस वर्ष उज्जैन में कई बार मूसलाधार बारिश हुई। घटिया सामग्री का उपयोग किया गया था इसलिए दीवार कमजोर होती चली गई। शुक्रवार दिनांक 27 सितंबर को जब भारी बारिश हुई तो दीवार टूट गई और दो लोगों की मृत्यु का कारण बनी। इस मामले में प्राथमिक तौर पर दीवार बनाने वाला ठेकेदार और ठेकेदार के काम को NOC देने वाला इंजीनियर जिम्मेदार है, परंतु उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
विदेशी श्रद्धालु खड़े होते तो लेने की देने पड़ जाते
कितनी अजीब दलील है। दीवार के किनारे अतिक्रमण नहीं होता तो सिर्फ दीवार गिरती, दुकानदार नहीं मरते। सूचना जरूरी है कि दीवार के किनारे यदि अतिक्रमण नहीं होता तो संभव है कि श्रद्धालु खड़े होते, और यदि कोई विदेशी श्रद्धालु खड़े होते, तो लेने के देने पड़ जाते। मुद्दे की बात यह है की दीवार कमजोर थी। करवाई ठेकेदार और इंजीनियर के खिलाफ होनी चाहिए, और ऐसी होनी चाहिए कि मध्य प्रदेश में सभी ठेकेदार और इंजीनियर तक संदेश जाए।
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