मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के निर्देश पर राजधानी भोपाल के एमपी नगर इलाके में सेफ्टी रूल्स का उल्लंघन करने वाले कोचिंग संचालकों के खिलाफ सीलिंग की कार्रवाई की गई थी। पब्लिक में इस प्रकार की कार्रवाई की बड़ी प्रशंसा हुई थी परंतु कलेक्टर ने मुख्यमंत्री के निर्देश का पालन करने वाले SDM को एक महीने भी नहीं टिकने दिया। 2 सितंबर को SDM आशुतोष शर्मा का ट्रांसफर कर दिया गया और उनकी जगह उस अधिकारी को SDM बनाया है जिसने पहले भी कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की थी।
SDM शर्मा तो मुख्यमंत्री के निर्देश का पालन कर रहे थे
भोपाल के कलेक्टर श्री कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने, राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी श्री आशुतोष शर्मा को एमपी नगर से पुराने भोपाल में ट्रांसफर कर दिया है और श्री आशुतोष शर्मा से पहले एमपी नगर के एसडीएम रहे एलके खरे को फिर से एमपी नगर के एसडीएम बना दिया गया है। यहां उल्लेख करना जरूरी है कि, राजधानी दिल्ली स्थित कोचिंग क्लास के बेसमेंट में बारिश का पानी भर जाने के कारण कुछ विद्यार्थियों की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने बेसमेंट में संचालित होने वाली कोचिंग क्लास के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। एमपी नगर के एसडीएम श्री आशुतोष शर्मा ने मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन करते हुए बेसमेंट में चलने वाली कोचिंग क्लास सील करना शुरू कर दिया था।
कोचिंग वालों को राहत देने, कलेक्टर का पावर प्ले
तब कलेक्टर ने हस्तक्षेप करके कार्रवाई रूकवाई थी। दिनांक 3 अगस्त को एक मीटिंग में एसडीएम आशुतोष शर्मा ने कोचिंग संचालकों को बेसमेंट खाली करने के लिए एक महीने का समय दिया था। 3 सितंबर को यह समय पूरा होता है लेकिन कलेक्टर श्री कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने इसके एक दिन पहले 2 सितंबर को श्री आशुतोष शर्मा का ट्रांसफर कर दिया। श्री शर्मा के स्थान पर श्री एलके खरे को एमपी नगर एसडीएम के पद पर पदस्थ किया है। श्री एलके खरे पहले भी एमपी नगर SDM थे। वह कभी कड़ी कार्रवाई नहीं करते। बस खाना पूर्ति करते हैं।
एलके खरे रिजल्ट नहीं दे पाए, फिर भी कलेक्टर की गुड बुक में
श्री एलके खरे इससे पहले भोपाल शहर SDM के पद पर थे। यहां से आरा मशीनों की शिफ्टिंग करवानी है। रेलवे स्टेशन का अतिक्रमण हटवाना है। यह दोनों काम भोपाल शहर के विकास के लिए जरूरी है लेकिन श्री एलके खरे ने एक भी काम पूरा नहीं किया। श्री एलके खरे कभी कोई काम ऐसा नहीं करते जिसके कारण उनके खिलाफ किसी भी प्रकार की पॉलीटिकल पावर का उपयोग हो जाए। रिजल्ट नहीं दे पाए उसके बाद भी कलेक्टर के प्रिय अधिकारी हैं और मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन करने वाला अधिकारी पद से हटा दिया गया।
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